अहमदाबाद. गुजरात सरकार ने नए धर्मांतरण रोधी कानून की धारा पांच के क्रियान्वयन पर रोक के संबंध में अदालत के हालिया फैसले में संशोधन का अनुरोध करने वाली राज्य सरकार की अर्जी खारिज कर दी है. इस बीच राज्य के गृह और कानून मंत्री प्रदीप सिंह जडेजा ने गुरुवार को कहा कि लव जिहाद विरोधी कानून को हमारी बेटियों को गाली देने वाली जिहादी ताकतों को नष्ट करने के लिए एक हथियार के रूप में लाया गया था. उन्होंने ये भी कहा कि राज्य सरकार हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी.
गुजरात धार्मिक स्वतंत्रता (संशोधन) कानून, 2021 की धारा-पांच के तहत पुजारी के लिए किसी व्यक्ति का धर्मांतरण कराने से पहले जिलाधिकारी की अनुमति लेना अनिवार्य है. इसके साथ ही धर्मांतरण करने वाले व्यक्ति के लिए भी निर्धारित आवेदन भरकर अपनी सहमति के बारे में जिलाधिकारी को अवगत कराना आवश्यक है. राज्य के महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी की दलीलें सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति बीरेन वैष्णव की खंडपीठ ने कहा, ‘हमें 19 अगस्त को हमारे द्वारा पारित आदेश में कोई बदलाव करने का कोई कारण नजर नहीं आता.
जडेजा ने एक बयान में कहा, हम हिंदुओं सहित सभी धर्मों की महिलाओं की रक्षा के लिए दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं. जिहादी तत्वों द्वारा लड़कियों को प्रताड़ित करने के लिए हमने दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ लव जिहाद पर कानून का हथियार उठाया है. गुजरात सरकार फर्जी हिंदू पहचान, प्रतीकों और प्रलोभनों को मानकर फर्जी विवाह और महिलाओं के साथ विश्वासघात को रोकने के नेक इरादे से गुजरात धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) अधिनियम लाया है.
उन्होंने ये भी कहा कि धर्मांतरण विरोधी कानून ‘राजनीतिक एजेंडा नहीं है, बल्कि राज्य सरकार द्वारा लड़कियों की सुरक्षा के लिए एक प्रणाली बनाने का एक ईमानदार प्रयास है.’ उन्होंने कहा कि कुछ विरोधियों ने इसकी ‘गलत व्याख्या’ की और हाई कोर्ट चले गए.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-गुजरात हाईकोर्ट का आदेश, महिला पर बच्चे के पिता की पहचान बताने दबाव नहीं डाल सकते
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