जयपुर. राजस्थान में पेयजल उपभोक्ताओं की जेब ढीली करने की तैयारी की जा रही है. कोरोना संक्रमण काल में स्वायत्त शासन विभाग ने उपभोक्ताओं की जेब हल्की करने का फरमान जारी किया है. अपनी गरीबी दूर करने के लिए डीएलबी ने जलदाय विभाग को आम आदमी से पानी के बिल के साथ साथ सीवरेज टैक्स वसूलने के निर्देश जारी कर दिए हैं. हैरानी की बात ये है की जिस सीवरेज सिस्टम के नाम पर पेयजल उपभोक्ताओं से वसूली की जानी है, उसका का कई जगह तो वजूद ही नजर नहीं आ रहा है. स्वायत्त शासन विभाग के फरमान से जलदाय विभाग के अधिकारियों को पसीने छूट रहे हैं.
इसके पीछे एक बड़ी वजह यह है कि क्योंकि एक तरफ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश में निशुल्क पानी की सप्लाई के आदेश जारी कर रखे हैं. दूसरी तरफ स्वायत्त शासन विभाग के फरमान के अनुसार जलदाय विभाग को ही पानी के बिलों पर जनता से 33 फीसदी सीवरेज शुल्क वसूलना होगा. दरअसल स्वायत्त शासन विभाग ने नगरीय निकायों की गरीबी को दूर करने का यह एक नया फॉर्मूला तैयार किया है. नगरीय निकायों के राजस्व में वृद्धि के लिए अब शहरों से सीवरेज एवं सीवरेज नेटवर्क शुल्क वसूलने का फरमान जारी किया गया है.
डीएलबी निदेशक की ओर से जारी आदेशों के अनुसार जिस शहर में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना कर कर दी गई हैं वहां की आबादी से सीवरेज एवं सीवरेज नेटवर्क के रख-रखाव के लिए पानी के बिल के साथ 33 फीसदी टेक्स वसूला जाना हैं. लेकिन जिन 55 शहरों में पानी के बिल के साथ 33 फीसदी टैक्स जोड़ने के निर्देश जारी किए गये हैं उनमें से कई शहरों में तो सीवरेज नेटवर्क जीरो है. डीएलबी की ओर से जारी की गई सूची के अनुसार बारां शहर में एक एसटीपी लगा हुआ है. लेकिन बारां शहर का एक भी घर सीवरेज कनेक्शन से नहीं जुड़ा हुआ है.
बारां शहर की तरह माउंट आबू, टोंक, नोखा, सुजानगढ़ और भादरा में भी किसी भी घर को सीवरेज कनेक्शन से नहीं जोड़ा गया है. लेकिन इन सभी शहरों की पूरी आबादी से पानी के बिलों का 33 फीसदी सीवरेज टैक्स के रूप में वसूला जाएगा. यहीं नहीं भरतपुर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, हनुमानगढ़, झालावाड़, नवलगढ़ और श्रीगंगानगर में सीवरेज सिस्टम का लाभ दस फीसदी से भी कम आबादी को मिल रहा है, लेकिन इन शहरों की पूरी आबादी से भी पूरा टैक्स वसूलने की तैयारी की जा रही है.
इतना ही नहीं करौली, सवाई माधोपुर किशनगढ़, कुशलगढ़, पुष्कर, राजसमंद, सुमेरपुर अलवर, बड़ी सादड़ी, बालोतरा, बाड़मेर, बूंदी, डीडवाना, जैसलमेर, जैतारण और जालोर जैसे बड़े शहरों में भी दुर्दशा के शिकार हो रहे महज छोटे से सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के नाम पर वहां की आबादी की जेब काटने का फरमान जारी किया गया है. डीएलबी अधिकारियों का कहना है कि जनता पर ये टैक्स सीवरेज शुल्क के नाम पर नहीं बल्कि प्रदेश की नगरीय निकायों की गरीबी दूर करने के लिए वसूलना जरूरी हो गया है.
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