कुण्डली में जिस भी भाव या स्थान में शनि बैठे होते हैं उसी स्थान से ज्ञात होता है कि कहां पर कड़ी चुनौती का सबक मिलेगा. शनि की स्थिति ही व्यक्ति की राह में आने वाली कठिन चुनौतियों और सीमाओं को दर्शाती है.
शनि आपकी कुंडली में आपके कर्मों के अनुसार प्रभावों को बढ़ा देते हैं :-
यदि शनि आपकी कुंडली में उच्च स्थान पर बैठे हैं तो ये संबंधित स्थान के प्रभावों को बढ़ा देते हैं लेकिन अगर यह नीच स्थान पर बैठे हों तो जातक को उस स्थान से संबंधित क्षेत्रों में सचेत रहने की आवश्यकता होती है.
शनिदेव से सभी डरते हैं:-
शनिदेव से सभी डरते हैं. शनिदेव को दंडाधिकारी कहा गया है अर्थात अच्छे कर्म करने वाले को अच्छा तथा बुरे कर्म करने वाले को इसका दंड देने के लिए शनिदेव सदैव तत्पर रहते हैं.
इसका निर्णय भी शनिदेव अन्य सभी देवों से जल्दी व त्वरित गति से करते हैं. यही कारण है कि गलत काम करने से लोग शनिदेव से डरते हैं.
कुछ पापी मनुष्य पाप करने के उपरांत भी बच जाते हैं और अपने पापों की सजा न पा कर वह बहुत प्रसन्न होते हैं कि उनका गलत कार्य करने के पश्चात बाल तक बांका नहीं हुआ , मगर वह यह भूल जाते हैं कि शनि देव जी न्यायप्रिय देव हैं. जो दंड उनको मिलना था उसे बड़ा देने के लिए उसे छोड़ देते हैं और फिर भी मानों बच जाते हैं तो उसकी अगली पीढ़ी को बहुत ही बेरहमी से पीसते हैं.
शनि की अनुकंपा पानी हो तो अपना कर्म सुधारें, आपका जीवन अपने आप सुधर जायेगा. शनिदेव दुखदायक नहीं, सुखदायक हैं. अच्छा करने वालों की सुरक्षा भी शनिदेव करते हैं.
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Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-कुंडली के ग्यारहवें घर में बैठे सूर्य के कारण व्यक्ति को धन लाभ होता
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जब शनि और सूर्य कुंडली में एक साथ रहे तो क्या प्रभाव होगा!
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