पलपल संवाददाता, जबलपुर. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने अनुकम्पा नियुक्ति मामले में कहा कि इस मामले में कोताही उचित नहीं है याचिकाकर्ता की शिकायत को बिना विलम्ब किए दूर किया जाए. कोर्ट ने कहा कि अनुकम्पा नियुक्ति के आवेदन पर 6 माह के अंदर विचार किया जाए. ऐसा न होने पर अवमानना की कार्यवाही से इंकार नहीं किया जा सकता है. जस्टिस नंदिता दुबे की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता मनोज विश्वकर्मा निवासी जबलपुर की ओर से एडवोकेट सुजीतसिंह ठाकुर ने पक्ष रखा.
अधिवक्ता ने कहा याचिकाकर्ता जब अवयस्क रहा उस वक्त उसके पिता का शासकीय सेवा के दौरान निधन हो गया, जब याचिकाकर्ता वयस्क हुआ तो उसने आवेदन किया लेकिन मनमाना रवैया अपनाते हुए आवेदन को दरकिनार कर दिया गया, जिसके कारण हाईकोर्ट की शरण ली गई है, निर्धारित नियम के अनुसार अनुकंपा नियुक्ति दी जानी चाहिए. इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट के पूर्व न्यायदृष्टांत मार्गदर्शी हैं. इसके बावजूद कार्यवाही नही की गई, हाई कोर्ट ने सभी बिंदुओं पर गौर करने के बाद याचिकाकर्ता के हक में आदेश पारित कर दिया.
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अनुकंपा नीति के तहत नियुक्ति देने में समय नहीं लगाया जाना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि शासकीय सेवक के परिवार के भरण-पोषण के लिए अनुकंपा नियुक्ति महत्वपूर्ण व्यवस्था के रूप में लागू की गई है. लेकिन ज्यादातर शासकीय विभाग अनुकंपा नियुक्ति के आवेदन लंबित रखते हैं या फिर खारिज कर देते हैं. इस वजह से हाई कोर्ट में अनुकंपा नियुक्ति से जुड़ी याचिकाओं की भरमार हो जाती है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-मध्यप्रदेश में केंद्रीय मंत्रियों की आशीर्वाद यात्राओं की शुरुआत आज से
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