प्रदीप द्विवेदी. अगले वर्ष यूपी में विधानसभा चुनाव हैं और जो मुद्दे उभर कर आ रहे हैं वे सारे केंद्र की मोदी सरकार की बदौलत ही हैं, इसलिए बड़ा सवाल यही है कि- कब तक मोदी की सियासी ढाल बनेंगे योगी?
खबर है कि किसानों के भारत बंद का असर विशेष रूप से हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नजर आया, जाहिर है ये आंदोलनकारी विधानसभा चुनाव में योगी के लिए सवालिया निशान बनेंगे, क्योंकि इनमें से ज्यादातर मतदाताओं ने पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को वोट दिया था!
किसान आंदोलन को लेकर मोदी निश्चिंत हैं, क्योंकि अभी 2024 दूर है, लेकिन 2022 में यूपी में क्या इसका असर नहीं होगा?
मोदी की शुरू से ही राजनीति सेल्फ फोकस्ड रही है और वे मनमाने निर्णय करके उसका असर झेलने के लिए दूसरों को आगे कर देते हैं!
कृषि कानून बनाया मोदी ने और उसके फायदे समझाने के लिए भेज रहे हैं बीजेपी के सांसद-विधायकों को और इन सांसद-विधायकों को क्या पब्लिक रिस्पांस मिल रहा है, उसकी खबरें अक्सर आती रहती हैं!
यदि सांसद-विधायक ठीक से किसानों को समझा नहीं पा रहे हैं, तो मोदी किसानों को समझाने क्यों नहीं जाते हैं?
एमपी, राजस्थान आदि राज्यों के पिछले विधानसभा चुनाव 2018 के दौरान भी मोदी सरकार के कई फैसलों के कारण मध्यमवर्ग खासा नाराज था और ऐसे निर्णयों के खिलाफ प्रदर्शन भी हो रहे थे, पर मोदी ने कोई जरूरी कदम नहीं उठाया, नतीजा यह रहा कि एमपी, राजस्थान में बीजेपी हार गई?
लेकिन, इसके बाद जब लोकसभा चुनाव 2019 होने थे, तो सियासी खतरा मोदी पर मंडरा रहा था, तब सेल्फ फोकस्ड मोदी ने फटाफट आर्थिक आधार पर आरक्षण, आयकर सीमा में बदलाव जैसे निर्णय कर डाले! क्यों?
विधानसभा चुनाव 2018 के चुनाव में वसुंधरा राजे, शिवराज सिंह चौहान की सरकारें जाने के लिए जिम्मेदार कौन था?
यह तय है कि इस बार यदि यूपी चुनाव में योगी जीतेंगे तो अपने दम पर और वसुंधरा राजे की तरह योगी सरकार भी गई, तो मोदी सरकार के जिद्दी फैसलों के कारण जाएगी!
और यदि, यूपी में बीजेपी हार गई, तो मोदी कृषि कानूनों पर हथियार डालने में जरा-सी भी देर नहीं करेंगे?
यूपी चुनाव में योगी के समक्ष जो बड़े मुद्दे हैं, वे हैं...
एक- मोदी के तीन कृषि कानून, जिनका किसान विरोध कर रहे हैं.
दो- एमएसपी गारंटी का कानून बनाना.
तीन- महंगाई, जिसने गरीब और मध्यमवर्ग का जीवन मुश्किल में डाल दिया है.
चार- पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस के मनमाने दामों की लूट.
पांच- रोजी-रोटी का संकट आदि.
सियासी सयानों का मानना है कि या तो योगी आगे बढ़ कर इन तमाम मुद्दों पर मोदी सरकार से फैसले करवाएं या फिर यूपी में कृषि कानून लागू नहीं होगा जैसा अपने स्तर पर ऐलान करें, वरना सियासी नुकसान हो जाने के बाद तो वसुंधरा राजे की तरह लंबा इंतजार ही करना होगा!
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-अभिमनोजः किसान आंदोलन! फायदा किसी का भी हो, लेकिन नुकसान बीजेपी का तय है?
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