लखनऊ. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले छोटे-छोटे राजनीतिक दल भी सक्रिय नजर आ रहे हैं. इसी क्रम में बुधवार को प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल यादव के विक्रमादित्य मार्ग स्थित आवास पर उत्तर प्रदेश के छोटे दलों का जमावड़ा लगा. वैसे तो बैठक के बारे मे नेताओं ने कोई अपडेट नहीं दी, लेकिन सूत्रों की मानें तो सुभासपा अध्यक्ष और योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे ओमप्रकाश राजभर, AIMIM के मुखिया असदुद्दीन उवैसी, भीम आर्मी आज़ाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर रावण, शिवपाल यादव के साथ बैठक में मौजूद रहे. चर्चा लगभग घंटे भर तक चली जिसमें उत्तर प्रदेश में छोटे सियासी दलों का भविष्य और वर्तमान पर चर्चा हुई.
ओमप्रकाश राजभर ने यूपी में छोटे सियासी दलों को संकल्प भागीदारी मोर्चे में जोड़ने की कवायद को किस तरह अंजाम तक पहुंचाया जाए इस पर फोकस किया. अगर गठबंधन हो तो किस तरह से हो इस पर भी चर्चा की गई. इस महत्वपूर्ण चर्चा में चरों दल इस बात को लेकर बेचैन दिखे कि इस प्रक्रिया में वक्त लगेगा, इसलिए जल्द से जल्द फैसला हो कि गठबंधन की प्रक्रिया की तरफ कैसे बढ़ा जाए?
गौरतलब है कि जाति और धर्म पर आधारित इन छोटे दलों ने अगर एक साथ आने का मन बना लिया तो यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में कई पार्टियों के राजनीतिक समीकरण बदल जाएंगे. यादव, मुस्लिम और पिछड़े वोट बैंक के सहारे यूपी की गद्दी पर बैठने का ख्वाब संजोए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर भी इस संभावित गठबंधन का प्रभाव पड़ सकता है. भीम आर्मी के कारण बसपा को भी दलित वोटों का नुकसान उठाना पड़ सकता है. इतना ही नहीं बीजेपी को भी रणनीतिक बदलाव करना पड़ सकता है. इतना ही नहीं अपने संगठन को धार देने जुटी काग्रेस को भी अलग स्क्रीप्ट लिखनी पड़ सकती है. हालांकि अभी तक किसी भी तरह का गठबंधन नहीं हुआ है, लेकिन अगर ऐसा होता है तो बीजेपी उग्र हिंदुत्व के एजेंडे पर वापस आ जाएगी.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-यूपी में योगी सरकार का किसानों को बड़ा तोहफा, 25 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ा गन्ना मूल्य
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