मोदीजी! जुगाड़ के बहुमत के दम पर नहीं, जनमत संग्रह के दम पर कृषि कानून बना कर दिखाइए?

मोदीजी! जुगाड़ के बहुमत के दम पर नहीं, जनमत संग्रह के दम पर कृषि कानून बना कर दिखाइए?

प्रेषित समय :22:04:02 PM / Mon, Oct 4th, 2021

प्रदीप द्विवेदी ( @PalpalIndia ). लखीमपुर खीरी में मचे बवाल पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि- ऐसी घटनाएं होती हैं तो कोई जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं होता?

यकीनन, यह सही है, लेकिन उकसाने की राजनीति और मनमाने फैसले करने की जिम्मेदारी भी तो कोई नहीं ले रहा है?

किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी कहा था कि- आपको प्रदर्शन का अधिकार है, लेकिन राजमार्गों को ब्लॉक कर लोगों को परेशानी में नहीं डाल सकते हैं!

एकदम सही, लेकिन किसान कहां जाएं, जब मोदी सरकार तो उनसे बातचीत तो दूर, उन्हें देखना भी नहीं चाहती है?

मी लार्ड! किसानों से पीएम मोदी के एक फोन काल की दूरी के दावे पर भी तो कभी केंद्र सरकार से जवाब मांगे? वह फोन नंबर किसानों को आप ही मोदीजी से उपलब्ध करवा दें!

क्या सर्वाेच्च अदालत मोदी सरकार को कृषि कानून को लेकर जनमत संग्रह के निर्देश दे सकती है? यदि ऐसा हुआ तो आंदोलन थम जाएगा और असली तस्वीर भी सबके सामने आ जाएगी!

क्या सर्वाेच्च अदालत राजनेताओं के उकसाने वाले बयानों, वायरल वीडियो आदि पर भी कोई एक्शन लेगी?

किसान आंदोलन को लेकर किसानों की, आमजनता की परेशानियां बढ़ती जा रही हैं, लेकिन मोदी सरकार तो इसे लेकर बेफिक्र है और उकसाने की राजनीति जारी है, क्यों?

क्योंकि, जुगाड़ के बहुमत के दम पर कृषि कानून बना दिए गए है और लोकसभा चुनाव 2024 में होंगे, मतलब- तब तक मोदीजी की सत्ता को तो कोई सियासी खतरा है नहीं?

अलबत्ता, यूपी के सीएम योगी को विधानसभा चुनाव 2022 में सियासी नुकसान हो सकता है, पर मोदी टीम ने मोदीजी के अलावा किसी और के सियासी नुकसान के बारे में कब सोचा है?

किसी और के लिए सोचा होता तो राजस्थान में वसुंधरा राजे और एमपी में शिवराज सिंह की सरकारें विधानसभा चुनाव 2018 में काहे जाती?

प्रजातंत्र में सरकार चलाने के लिए बहुमत का महत्व है, लेकिन मनमर्जी चलाने के लिए जुगाड़ के बहुमत के निर्णय को कैसे स्वीकार किया जा सकता है?

यदि पीएम मोदी को जुगाड़ के बहुमत के अहंकार में लगता है कि उनके कृषि कानून जनता की पसंद के हैं, फायदे के हैं, तो इस पर जनमत संग्रह करवा लें, दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा, लेकिन अस्थाई जुगाड़ के बहुमत से बने कानून तो किसानों पर नहीं लादें?

याद रहे, किसान आंदोलन आजाद भारत के इतिहास का सबसे लंबा किसान आंदोलन है और लंबे समय तक इतने सारे लोगों के धैर्य की परीक्षा लेना ठीक नहीं है?

युवा पत्रकार श्याम मीरा सिंह ने ट्वीट किया- एक क्रिकेटर के अंगूठे की चोट पर ट्वीट करने वाले प्रधानमंत्री ने किसानों की हत्या पर एक ट्वीट भी नहीं किया है. किससे जवाब माँगे? राहुल गांधी से? इमरान खान से? या तालिबान से? देश का प्रधानमंत्री जापान के लिए ट्वीट कर रहा है, मगर लखीमपुर खीरी पर एक शब्द भी नहीं बोला!

https://twitter.com/ShyamMeeraSingh/status/1444974688040460289

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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