जैसलमेर. राजस्थान के जैसलमेर में पोकरण क्षेत्र के गोमट गांव के पास रविवार को सुबह सेना के वाहन से हुये दर्दनाक सड़क हादसे में हुई पिता-पुत्र की मौत का मामला अब लगातार तूल पकड़ता जा रहा है. घटना के तीसरे दिन मंगलवार को सुबह तक भी आरोपियों का कोई सुराग नहीं लग पाया. हादसे में मारे गये पिता-पुत्र के शव लेकर परिजन और ग्रामीण 48 घंटे से ज्यादा समय से बैठे हुये हैं. उनकी मांग है कि हादसे को अंजाम देने वाले सेना के कर्मचारियों को तत्काल गिरफ्तार किया जाये. मृतकों के परिजनों को 50 लाख रुपए की आर्थिक सहायता राशि दिलाई जाये. इसके साथ ही मृतक के आश्रित को सरकारी नौकरी दिलाने और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद अनुसंधान में हत्या की धारा जोड़ी जाये.
मामला बढ़ता देखकर जैसलमेर पुलिस अधीक्षक डॉ.अजय सिंह सोमवार रात तक पोकरण में डेरा डाले रहे. वे प्रत्येक गतिविधि पर मॉनिटरिंग कर रहे हैं. गहलोत सरकार के मंत्री विधायक शालेह मोहम्मद भी यह दो बार आ चुके हैं. वहीं पूर्व विधायक सांगसिंह भाटी और महंत प्रतापपुरी महाराज के शिष्य मदन देवासी भी धरनास्थल पर पहुंचे तथा ग्रामीणों की मांग का समर्थन किया. पुलिस प्रशासन सेना के अधिकारियों के साथ सामजंस्य कायम कर मामले को निपटाने का प्रयास कर रहे हैं. सेना के बड़े अधिकारियों ने भी घटना को लेकर पुलिस को सहयोग का भरोसा दिलाया है.
उल्लेखनीय है कि रविवार को सुबह कस्बे के वार्ड संख्या एक निवासी मजदूर रहमतुल्ला और उसका बेटा फिरोज मोटरसाइकिल से गोमट की तरफ जा रहे थे. इस दौरान गोमट गांव के तालाब के पास सामने से आ रहे सेना के वाहन ने उनको अपनी चपेट में ले लिया था. हादसे के बाद पिता-पुत्र को सेना के वाहन से उतरे चार जवानों ने अपनी गाड़ी में डाल दिया और अपने साथ ले गए. मौके पर खड़े लोगों ने हादसे और उन्हें गाड़ी में डालकर ले जाने की घटना देखी. उन्होंने सोचा कि सेना के जवान घायलों को अस्पताल लेकर जाएंगे.
प्रत्यक्षदर्शियों की सूचना पर बड़ी संख्या में ग्रामीण और परिजन अस्पताल पहुंच गए. लेकिन काफी देर इंतजार के बाद भी कोई अस्पताल नहीं पहुंचा. इस पर उन्हें शक हुआ तथा उन्होंने इसकी सूचना पुलिस को दी. पुलिस ने चार घंटे की मशक्कत कर पिता-पुत्र के शवों को चाचा से ओढ़ाणिया जाने वाले मार्ग पर झाड़ियों से बरामद किया. लेकिन वहां न तो सेना का वाहन मिला और न ही जवान. मृतकों के परिजनों और ग्रामीणों का आरोप है कि सेना के जवान पिता पुत्र को अस्पताल ले जाने की बजाय घटनास्थल से करीब 25 किलोमीटर दूर झाड़ियों में पटक गये जिससे उनकी मौत हो गई. हालात को देखते हुये गांव में बड़ी संख्या में पुलिस जाब्ता तैनात है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-राजस्थान में दलित की हत्या: मायावती ने पूछा- चुप क्यों है कांग्रेस
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