पलपल संवाददाता, जबलपुर/भोपाल. मध्यप्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायतों से पहले पुलिस विभाग में बड़े स्तर पर तबादले की रुपरेखा तैयार की जा रही है, जिसमें तीन साल से एक ही थाना में जमे पुलिस आरक्षकों के थाना बदले जाएगें, तो एएसआई से लेकर डीएसपी स्तर के अधिकारियों के जिले बदले जाएगे. 8 नवम्बर तक पुलिस मुख्यालय ने हर जिले के पुलिस अधीक्षकों से इसकी सूची मांगी है.
बताया गया है कि त्रिस्तरीय पंचायत अगले वर्ष होने की संभावना है जिसके चलते राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव में लगे पुलिस कर्मियों के एक ही जिले में लम्बे समय से तैनाती को लेकर कड़ा रुख अपना रहा है, आयोग से एक जिले में लम्बे समय से जमे एएसआई से लेकर डीएसपी स्तर के अधिकारियों की सूची मांगी है, आयोग ने निर्वाचन कार्य से जुड़े गृह जिले में पदस्थ ऐसे पुलिस कर्मी जो अक्टूबर 2021 के अंत की स्थित में चार वर्ष के दौरान किसी एक स्थान पर तीन साल से अधिक रहे हो तो उनका तबादला थाने में कर दिया जाएगा. तबादले के बाद रिक्त होने वाले पदों को लाइन में तैनात पुलिस कर्मियों से भरने के निर्देश भी दिए हैं. पुलिस मुख्यालय में 08 नवंबर की दोपहर 12 बजे तक दो प्रमाण पत्र, जो एसपी द्वारा जारी किए गए हो, वो भेजना है. इस प्रमाण पत्र में ये बताया जाएगा कि अमुक कर्मी का गृह जिला ये नहीं है या फिर इसकी पदस्थापना तीन साल से कम है. वहीं विभागीय प्रमोशन में कार्यवाहक तौर पर एएसआई से लेकर डीएसपी बने पुलिस अधिकारियों को अपना गृह जिला छोडऩा होगा. आरक्षक से लेकर डीएसपी तक को एक जिले से परिक्षेत्र के जिले में भेजने का प्रावधान है. प्रदेश सरकार ने आरक्षण का प्रकरण कोर्ट में लंबित होने के चलते बीच का रास्ता निकालते हुए सभी को कार्यवाहक प्रमोशन दे दिया है. उस समय प्रमोशन के बाद भी उनके जिले नहीं बदले गए. जबकि एएसआई से ऊपर के अधिकारी गृह जिले में नहीं रह सकते हैं. जबलपुर में ढाई से अधिक प्रधान आरक्षक जहां एएसआई बने हैं. वहीं 500 से अधिक आरक्षक से प्रधान आरक्षक बने हैं. इसी तरह एएसआई से एसआई और एसआई से निरीक्षक भी कई हुए हैं.
जबलपुर में कुछ ऐसा होगा-
जबलपुर परिक्षेत्र में दो ही जिले हैं. जबलपुर में जहां अधिक पद है, वहीं इसकी तुलना में कटनी में कम पद है. ऐसे में गृह जिले का नियम लागू करने पर जहां कटनी में अधिक पुलिस कर्मी हो जाएंगे वहीं जबलपुर में कम होंगे. इसके लिए परिक्षेत्र के नियम को हटाना होगा. ओर जोन के जिलों में तबादले का विकल्प देना होगा.
जबलपुर में कई अंगद की तरह जमें है-
गौरतलब है कि जबलपुर में कई टीआई अंगद की तरह अपने पैर जमाए बैठे है, जो अधिकारियों व नेताओं की मेहरबानी से जिला नहीं छोड़ रहे है, इन अधिकारियों को अब जिले से बाहर जाना होगा. इनमें कुछ क ा प्रमोशन हो चुका है, इसके बाद भी वे जबलपुर में ही पदस्थ है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-मध्यप्रदेश में दशहरा पर विजय संकल्प ध्वज फहराएगी, हर बूथ पर लाड़ली के पैर पूजे जाएगें
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