एमपी के भोपाल में बोले पीएम मोदी, जनजातीय महापुरुषों का बलिदान देश भूल नहीं सकता

एमपी के भोपाल में बोले पीएम मोदी, जनजातीय महापुरुषों का बलिदान देश भूल नहीं सकता

प्रेषित समय :21:29:46 PM / Mon, Nov 15th, 2021

भोपाल. राजधानी के जम्बूरी मैदान पर बिरसामुंडा की जन्मतिथि पर आयोजित किए गए जनजातीय महासम्मेलन औपचारिक रूप से शुरु हुआ. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंच पर पहुंचकर वीर आदिवासी बिरसा मुंडा को पुष्प अर्पित किए. इस दौरान उनके साथ राज्यपाल मंगूभाई पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी हैं. प्रधानमंत्री ने पूरे मंच पर घूम कर उपस्थित आदिवासी जनसमुदाय का अभिवादन किया. मंच पर राज्यपाल मंगूभाई पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रहलाद पटेल समेत सांसद, विधायक मौजूद रहे. प्रधानमंत्री का बैगा माला और शाल से अभिनंदन किया गया. मंच पर स्वागत कार्यक्रम शुरू हुआ. आदिवासी नेता ओमप्रकाश धुर्वे, बिसाहूलाल साहू आदि ने अभिनंदन किया. मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को तीर और धनुष देकर अभिनंदन किया.

कार्यक्रम में अपने उद्बोधन की शुरूआत करते हुए प्रधानमंत्री ने जनसमुदाय से कहा राम-राम, हू तम्हारो स्वागत करो छू, आप सबानूजन दिल सी राम-राम. मप्र के राज्यपाल मंगूभाई पटेल, जो जीवनभर समर्पित आदिवासी सेवक रहे. मप्र के पहले आदिवासी राज्यपाल का सम्मान भी राज्यपाल मंगूभाई पटेल को जाता है. मप्र के कोने-कोने से आए आदिवासी भाई-बहन का आभार. आज भारत अपना पहला जनजातीय गौरव दिवस मना रहा है. आजादी के अमृत महोत्सव में इस पूरे आयोजन के लिए मैं पूरे देश का आभार व्यक्त करता हूं. सेवाभाव से ही आज आदिवासी समाज के लिए मप्र सरकार ने कई बड़ी योजनाओं का शुभारंभ किया है. आज जब कार्यक्रम में गीतों के माध्यम से आदिवासी भाई बहन अपनी भावनाएं प्रकट कर रहे थे तो में समझने की कोशिश कर रहा था, मेरे जीवन का बड़ा समय आदिवासी क्षेत्रों में बीता है और मैंने देखा है कि आपके गीतों में कोई न कोई तत्व होता है. आज के आपके गीत में आपने जो कहा कि जीवन चार दिनों का है, सब कुछ मिट्टी में मिल जाएगा, जीवन मौज मस्ती में उड़ा दिया अब जब अंत समय आया तो मन में पछताना व्यर्थ है. धरती, खेत-खलिहान किसी के नहीं हैं, अपने मन में गुमान करना व्यर्थ है. ये धन-दौलत किसी काम की नहीं है. इसे यहीं छोड़कर जाना है, आप देखिए इस गीत में जो शब्द कहे गए हैं वे आदिवासी भाई बहनों ने जीवन के तत्व ज्ञान को आत्मसात करने के बाद कहे हैं.

प्रधानमंत्री ने इस संदर्भ में शिवराज सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि इसी भावना से मप्र सरकार ने भी आदिवासी समाज के लिए कई बड़ी योजनाओं की शुरूआत की है. राशन आपके द्वार और सिकल सेल मिशन, दोनों योजनाएं आदिवासियों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए बड़े प्रयास हैं. आयुष्मान योजना के तहत भी अनेक बीमारियों का इलाज आदिवासी और गरीब परिवारों को मिल रहा है. टीकाकरण के लिए भी आदिवासी समाज भी जागरूक रहते हुए अपनी भागीदारी निभा रहा है. सबसे बड़ी महामारी से निपटने के लिए जनजातीय समाज का आगे आना शहर के लोगों के लिए सीखने जैसा है. जनजातीय महापुरुषों के बलिदान को देश भूल नहीं सकता, जिन्होंने कंधे से कंधा मिलाकर अपना बलिदान दिया. हम सभी इस ऋण को चुका नहीं सकते लेकिन इस विरासत को संजोकर सम्मान दे सकते हैं.

प्रधानमंत्री ने कहा कि पद्म-विभूषण बाबा साहब पुरंदरे ने आज नहीं रहे. उन्होंने महाराण प्रताप के आदर्शों को देश के सामने रखा1 ये आदर्श हमें प्रेरणा देते रहेंगे. आज जब हम राष्ट्रीय मंच से राष्ट्र निर्माण में जनजातीय योगदान की बात करते हैं तो कुछ लोगों को हैरानी होती है. ऐसे लोगों को विश्वास ही नहीं होता कि जानजातीय समाज ने कोई योगदान दिया है. ऐसा इसलिए क्योंकि जनजातीय योगदान के बारे में कभी बताया ही नहीं गया, देश की आबादी में बड़ा हिस्सा होने के बाद भी उनकी उपेक्षा की गई. जनजातीय समाज के योगदान के बिना क्या प्रभु राम की सफलता की कल्पना की जा सकती है, कभी नहीं. प्रभु श्रीराम ने वनवास के दौरान वनवासी समाज से ही प्रेरणा ली थी. वनवासी समाज की उपेक्षा का पहले की सरकारों ने जो अपराध किया है उस पर लगातार बोला जाना जरूरी है. पहले की सरकारों ने आदिवासियों को हमेश सुख सुविधाओं से वंचित रखा, लेकिन बार-बार उनके वोट से ही सत्ता हासिल की. मैंने गुजरात में मुख्यमंत्री रहते हुए बहुत सारी योजनाएं शुरू कीं और 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद भी मेरी प्राथमिकता में जनजातीय वर्ग शामिल रहा.

प्रधानमंत्री ने अपने उद्बोधन में आगे कहा कि आदिवासी क्षेत्र के किसानों को भी देश के अन्य किसानों के जैसे ही तमाम योजनाओं को लाभ दिया जा रहा है. चाहे आवास हो, स्वास्थ्य हो या फिर पेयजल हो, सारी सुविधाएं दी जा रही हैं. मप्र के 30 लाख ग्रामीण परिवारों को सीधे घर में पेयजल उपलब्ध करवाया जा रहा है, इसमें बड़ा हिस्सा जनजातीय ग्रामीण इलाकों का है. मेरा मानना है कि कोई भी समाज विकास में पीछे नहीं रहना चाहिए, आकांक्षी जिलों में 150 से अधिक मेडिकल कालेज खोले जा रहे हैं, प्राकृतिक संपदा से मिलने वाले राजस्व का एक हिस्सा उसी क्षेत्र के विकास में लगाया जा रहा है, 50 हजार करोड़ रुपये अब तक इस हिस्से की राशि दी जा चुकी है. यह आजादी का अमृत काल है आत्मनिर्भरता का काल है. जनजातीय समाज के बगैर आत्मनिर्भरता मुमकिन नहीं है. जनजातीय समाज में प्रतिभा की कमी नहीं रही है, लेकिन दुर्भाग्?य से पहले की सरकारों में जनजातीय समाज को अवसर देने की इच्छाशक्ति ही नहीं थी. सृजन आदिवासी समाज की ताकत है, परंपरा का हिस्सा है लेकिन आदिवासी परंपरा को बाजार से नहीं जोड़ा गया बल्कि कानून की बेडिय़ों में जकड़कर रखा गया. हमने वन कानून में फेरबदल कर इन बेडिय़ों को हटा दिया अब आत्मनिर्भर बनाकर आदिवासी समाज को बाजार उपलब्ध करवाया जा रहा है. ऑनलाइन प्लेटफार्म उपलब्ध करवाया जा रहा है. हम वनोपज पर एमएसपी दे रहे हैं पहले की सरकारें आठ नौ वनोपजों पर एमएसपी देती थी आज हमने इसमें 90 वनोपजों को शामिल किया. राज्यों हमने 20 लाख जमीन के पट्टे् देकर लाखों आदिवासी परिवारों को भूमि अधिकार दिया है. देश में हमने 750 एकलव्य आदिवासी आवासीय स्कूल खोलने का लक्ष्य रखा है, कई राज्यों को स्कूल शुरू किए जा चुक हैं, ताकि जानजातीय वर्ग के बच्चे सीधे शिक्षा से जुड़ सकें. नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में स्थानीय भाषा को भी प्रमुखता दी गई है. कई राज्यों को स्कूल शुरू किए जा चुक हैं, ताकि जानजातीय वर्ग के बच्चे सीधे शिक्षा से जुड़ सकें. नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में स्थानीय भाषा को भी प्रमुखता दी गई है, इसका लाभ भी जानजातीय वर्ग को मिलेगा. जनजातीय गौरव दिवस, जैसे हम गांधी, सरदार पटेल की जयंती मनाते हैं वैसे ही भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पूरे भारत में मनाई जाएगी..

इससे पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि पूरा प्रदेश भगवान बिरसा मुंडा की जन्मतिथि पर आदिवासी रंग में रंग गया है. मैं भगवान बिरसा मुंडा को प्रणाम करता हूं. साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने बिरसा मुंडा के सम्मान में उनकी जन्मतिथि राष्ट्रीय गौरव दिवस की घोषणा की है. उन्होंने देश की आजादी में आदिवासियों के योगदान का वास्तव में सम्मान किया है. मैं मध्यप्रदेश की साढ़े आठ करोड़ जनता की ओर से प्रधानमंत्री का स्वागत करता हूं. भोपाल या प्रदेश में सिर्फ मुगलों का राज नहीं था बल्कि उनसे पहले आदिवासी राजाओं का राज था और उन्होंने राज की सुरक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर किए. रानी कमलापति भी भोपाल का गौरव थी. उन्होंने अपनी अस्मिता के लिए मुगलों के सामने झुकने के बजाय प्राण न्यौछावर करने का कदम उठाया. प्रधानमंत्री ने रानी कमलापति के बलिदान का सम्मान करते हुए विश्व स्तरीय रेलवे स्टेशन को रानी कमलापति नाम दिया. इसके लिए में प्रधानमंत्री को धन्यवाद देता हूं.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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