कानपुर के नवाबगंज इलाके के रहने वाले गोपाल खन्ना के कलेक्शन में करीब एक हजार खिलौनें है. जिसके जरिये वह युवाओं को भारतीय संस्कृति से रूबरू करा रहे हैं. गोपाल बताते हैं कि हमारे यहां झांकी लगाने का चलन है,जिसके चलते बचपन से ही उनकी मिट्टी के खिलौनों एकत्रित करने में रुचि रही.उन्होंने बताया कि वह जहां जाते हैं वहां के कल्चर के मिट्टी के खिलौने लेकर आते.फिलहाल उनके पास दिल्ली मुंबई कोलकाता कानपुर और लखनऊ के बने हुए खिलौने हैं.
श्री कृष्ण की लीलाओं से लेकर वर्ण व्यवस्था भी को दर्शा रहे
गोपाल बताते हैं कि उनके पास श्री कृष्ण की हर एक लीला के खिलौने मौजूद हैं.जो उन्हें अपने पिता जी वाह दादा जी से प्राप्त हुए हैं.उनका कहना है कि वे लोग इनका प्रयोग झांकी सजाने में करते थे. इसके अलावा उनके पास कर्म के हिसाब से बटी वर्ण व्यवस्था के खिलौने भी मौजूद हैं. जिन्हें वह कलकत्ता से लेकर आए थे.उनका मानना है कि आज के युवओं को वर्ण व्यवस्था के निर्धारण की जानकारी कम ही होती है.इसके जरिए वे युवाओं को आसानी से इसके बारे में समझा सकते हैं.
विदेशों से भी लेकर आए थे खिलौने
गोपाल बताते हैं कि वह एक बार अमेरिका गए थे.यहां पर इन्होंने अमेरिकी कल्चर को जाना व समझा.इसके बाद वहां के कल्चर के हिसाब से खिलौने खरीदे.जिसे उन्होंने अपने कलेक्शन में शामिल किया है.इसके अलावा उन्होंने कई खिलौने खुद भी तैयार किए हैं. उनका कहना है कि वह अपने इस हुनर को अन्य लोगों तक भी पहुंचाना चाहते थे.ताकि भविष्य में देशज खिलौनो की कला विलुप्त न हो जाए.
शिमला रेलवे स्टेशन का मॉडल है आकर्षण का केंद्र
उन्होंने अपने कलेक्शन में शिमला रेलवे स्टेशन का मॉडल भी तैयार कर रखा है.जिसे उन्होंने वेस्ट मटेरियल से बना कर तैयार किया है. इसमें रेलवे स्टेशन की बिल्डिंग, प्लेटफार्म व दो रेलगाड़ियां मौजूद हैं. गोपाल बताते हैं कि उन्होंने वाशिंग मशीन की वेस्ट पड़ी मोटर, टायर ट्यूब व लकड़ी से तैयार किया है.उनके कलेक्शन को कोई भी व्यक्ति नि:शुल्क देख सकता है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-भारतीय संस्कृति को बचाने का कार्य जनजाति समुदाय ने किया: वीडी शर्मा
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