पलपल संवाददाता, जबलपुर. मध्यप्रदेश के जबलपुर में एक अपराधिक मामले में न्यायिक अभिरक्षा में जेल में बंद तीन आरोपियों में एक की जमानत फर्जी ऋणपुस्तिका के आधार पर करा ली गई, मामले का खुलासा उस वक्त हुआ जब ऋण पुस्तिका की जांच कराई गई, जांच में ऋण पुस्तिका का फर्जी होना पाया गया, इसके बाद भी उक्त मामले में आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने में 13 वर्ष का समय लग गया, सिविल लाइन थाना में अब प्रकरण दर्ज कर जांच शुरु कर दी गई है.
बताया गया है कि सिविल लाइन पुलिस के अनुसार न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी अरविंद सिंह की कोर्ट ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया गया था, जिसपर सिविल लाइन थाना भेजी गई शिकायत में आधारताल थाना पुलिस की ओर से 12 जुलाई 2008 को आरोपी दीपक उर्फ लक्ष्मी नारायण, शिवम व प्रतीक शुक्ला को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था. 21 जुलाई 2008 को तत्कालीन सत्र न्यायधीश जबलपुर बृजकिशोर के न्यायालय से जमानत का आदेश जारी हुआ. सभी आरोपियों जमानत कराने के लिए पांच-पांच हजार रुपए की जमानत प्रस्तुत की गई थी. जमानतदार सतीश पुत्र केदारनाथ निवासी महाराजपुर पनागर द्वारा फर्जी ऋण पुस्तिका पेश की गई. संदिग्ध होने पर कोर्ट की ओर से इसकी तहसीलदार से जांच कराई गई. एक सितंबर 2008 को जांच रिपोर्ट में बताया गया कि उक्त ऋण पुस्तिका फर्जी है. तहसीलदार की रिपोर्ट के आधार पर कार्यवाही के लिए न्यायालय की ओर से कोई पहल नही की गई, जिसके चलते आरोपी बचा रहा, ये मामला संज्ञान में लाए जाने पर न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी अरविंद सिंह की कोर्ट ने कार्यवाही के निर्देश दिया. सिविल लाइंस पुलिस को मामले में धोखाधड़ी सहित फर्जी दस्तावेज तैयार करने का प्रकरण दर्ज करते हुए कोर्ट को अवगत कराने का आदेश दिया था. इस आदेश के क्रम में सिविल लाइंस पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-जबलपुर में कुम्भ की तरह नजर आया नर्मदा पंचकोषी परिक्रमा का नजारा, हर तरफ हर-हर नर्मदे का जयघोष
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