नई दिल्ली. अफगानिस्तान में नकदी संकट के बीच तालिबान के लिए देश चलाना मुश्किल साबित हो रहा है. अमेरिका ने तालिबान की उस मांग को खारिज कर दिया है, जिसमें उसने अफगानिस्तान की जब्त संपत्ति जारी करने की मांग की थी. तालिबान ने इसे लेकर अमेरिकी कांग्रेस को एक पत्र लिखा था. युद्धग्रस्त देश के लिए अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि थॉमस वेस्ट ने इस मसले पर कई ट्वीट किए हैं. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर अमेरिका अफगान संपत्ति में से 9 बिलियन डॉलर से अधिक को जारी नहीं करता, तो मानवीय संकट खड़ा हो सकता है.
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि अमेरिका ने तालिबान को कई वर्षों से स्पष्ट किया हुआ है कि अगर वह बातचीत के बजाय बलपूर्वक देश पर कब्जा करता है, तो अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मिलने वाली गैर-मानवीय मदद भी रुक जाएगी. एक अन्य ट्वीट में थॉमस वेस्ट ने कहा कि अमेरिका, तालिबान शासन के साथ ‘स्पष्ट’ कूटनीति जारी रखेगा. उन्होंने कहा कि उग्रवादियों को आतंकवाद से निपटने, एक समावेशी सरकार की स्थापना और अल्पसंख्यकों, महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों का सम्मान करते हुए अंतरराष्ट्रीय मान्यता और समर्थन हासिल करना होगा. तभी उसे ये पैसा मिल पाएगा.
वेस्ट ने कहा कि अमेरिका मानवीय सहायता के साथ अफगान लोगों का समर्थन करना जारी रखेगा. इसके लिए अमेरिका पहले ही इस साल 474 मिलियन डॉलर प्रदान कर चुका है. दरअसल अगस्त में तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद ही अमेरिका ने अफगान सेंट्रल बैंक की 9 बिलियन डॉलर से अधिक की संपत्ति को जब्त कर लिया था. अब अमेरिकी कांग्रेस को लिखे पत्र में अफगान तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने कहा है कि अफगानिस्तान की संपत्ति को जब्त करने से किसी समस्या का हल नहीं हो सकता. उन्होंने अमेरिका से देश की संपत्ति को जारी करने और बैंकों से प्रतिबंध हटाने का आग्रह किया है.
मुत्ताकी ने कहा कि दोहा समझौते पर हस्ताक्षर के बाद, अफगानिस्तान और अमेरिका अब संघर्ष या सैन्य विरोध की स्थिति में नहीं हैं. इसके अलावा, मुत्ताकी ने पत्र में लिखा है कि अगर संपत्ति जब्त रहती है, तो युद्धग्रस्त देश में समस्याएं बढ़ जाएंगी, क्योंकि सर्दी का वक्त आ रहा है. उन्होंने अमेरिकी कांग्रेस और अमेरिकी सरकार से अपने फैसले की समीक्षा करने और संपत्ति जारी करने का आग्रह किया है. मुत्ताकी ने कहा कि अधिकारी इस बात से चिंतित हैं कि अगर मौजूदा स्थिति ऐसे ही बनी रहती है, तो तालिबानी सरकार और लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ेगा. इससे मानवीय और आर्थिक संकट पैदा होगा.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-तालिबान को काबू में रखने के लिए नई साजिश में जुटा पाकिस्तान
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