मोदी सरकार अब आर्थिक सुधारों से रहेगी दूर, कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले से मिला संकेत: रिपोर्ट

मोदी सरकार अब आर्थिक सुधारों से रहेगी दूर, कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले से मिला संकेत: रिपोर्ट

प्रेषित समय :15:43:52 PM / Sat, Dec 4th, 2021

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला दिखाता है कि उनके कार्यकाल का दूसरा भाग शुरू होने पर आर्थिक सुधार प्राथमिकता में पीछे चले गए हैं. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में ऐसा कहा गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, अगले साल कई राज्यों में चुनाव की वजह से, ऐसा लगता है कि सरकार लोकप्रिय नीतियों को लागू करना चाहती है, क्योंकि मोदी तीसरी बार सत्ता में आना चाहते हैं. इससे वे जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के बाद सबसे लंबे समय तक रहने वाले प्रधानमंत्री बन जाएंगे.

रिपोर्ट के मुताबिक, टीएस लोम्बार्ड में इंडिया रिसर्च की सीनियर डायरेक्टर शुमिता देवेश्वर ने कहा कि कृषि सुधारों को वापस लेना दिखाता है कि इस बात को लेकर सीमाएं हैं कि मोदी सरकार संसद में मजबूत बहुमत के बावजूद सुधारों के साथ कहां तक आगे बढ़ सकती है. उन्होंने आगे कहा कि वे साफ तौर पर अपनी राजनीतिक ताकत को बचाना चाहते हैं.

ब्लूमबर्ग के मुताबिक, मोदी सरकार 2024 से पहले जिन चुनौतियों का सामना करेगी, उनमें पहला इज ऑफ डूइंग बिजनेस है. जहां भारत में कॉर्पोरेट टैक्स एशिया में सबसे कम में से एक है. वहीं, मोदी को निवेशकों को मनाने की जरूरत है, जो बेकार इंफ्रास्ट्रक्चर और रेड टेप की वजह से दूर रहे हैं. 1,680 बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में से, जिनमें राजमार्ग से लेकर रेलरोड और पावर प्लांट शामिल हैं, एक तिहाई में करीब 20 फीसदी की लागत बढ़ने होने से देरी हुई है.

रिपोर्ट के मुताबिक, देश में करीब 75 फीसदी कंपनियों ने कहा कि उन्होंने कारोबार के अवसर को खो दिया क्योंकि वे भारत के जटिल अनुपालन के नियमों में कम से कम एक चीज को पूरा नहीं कर पाईं. जनरल मोटर्स कंपनी जैसी दिग्गजों को 1.1 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है और वे राजनीतिक और कानूनी चिंताओं की वजह से पूरी तरह बाहर नहीं निकल पा रही हैं.

इसके अलावा महंगाई भी एक चिंता है. ज्यादा कीमतें कंपनी के मार्जिन को नुकसान पहुंचा रही हैं और ग्राहकों को दिक्कत दे रही हैं. जहां भारत इस साल बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से सबसे तेज रफ्तार के साथ रिकवर कर रहा है, मोदी को टैक्स टू जीडीपी रेश्यो में सुधार करने और ग्रोथ को बनाए रखने के लिए नौकरियां पैदा करने पर ध्यान देने की जरूरत है. इसका मलतब है कि भारत में मैन्युफैक्चरिंग बेस को बढ़ाना होगा, जहां 10 मिलियन लोग हर साल बाजार में आते हैं.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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