लंदन . काशी में कनाडा से वापस लायी गई मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा के बाद अब 8वीं सदी की योगिनी की प्राचीन मूर्ति सौ साल बाद बुंदेलखंड लायी जाने वाली है. यह मूर्ति करीब सौ साल पहले बांदा के लोहारी गांव से लंदन पहुंच गई थी, जिसे अब वहां की सरकार ने वापस किया और भारतीय उच्चायोग ने मूर्ति को वापस भारत लाने की जानकारी दी है. बुंदेलखंड वीर गाथाओं की थाती सहेजे है और इतिहास भी काफी प्राचीन है, यहां बांदा के लोहारी गांव से करीब सौ साल पहले चोरी हुई योगिनी माता की मूर्ति (स्थानीय भाषा में महामाई दाई) भारत वापस लाए जाने की खबर से हर कोई खुश है. 8वीं सदी की यह मूर्ति लंदन के ब्रिटेन में बरामद हुई है. ग्रामीण मूर्ति के वापस आने को आस्था और विश्वास की जीत मान रहे हैं और माता के फिर भक्तों का कल्याण करने आने की बात कह रहे हैं.
तिंदवारी के लोहारी गांव के बाहर एक बाग के पास टीलानुमा स्थान है. भारतीय उच्चायोग की जानकारी के अनुसार यहीं से चोरी मूर्ति ब्रिटेन में एक महिला के घर बरामद हुई, जिसे वापस लाने की तैयारी है. ग्रामीणों के मुताबिक टीले पर माता का भव्य मंदिर था, जो समय के साथ नष्ट हो गया. गांव से मूर्ति कब चोरी हुई और कहां गई, ये ठीक से किसी को नहीं पता है. हालांकि, मंदिर स्थल में करीब 200 साल से पूजा-अर्चना हो रही. गांव के 85 वर्षीय राम सजीवन ने बताया कि अंग्रेजों के शासनकाल से पहले तक मूर्ति मंदिर में थी. इसके बाद से ही गायब हुई. ऐसा उनके पूर्वज बताते थे. भारत की खोई मूर्तियों और कलाकृतियों को स्थापित कराने के काम में जुटी संस्था इंडिया प्राइड प्रोजेक्ट के सह संस्थापक विजय कुमार ने बताया कि कई साल से इसके लिए प्रयासरत थे. योगिनी माता की मूर्ति कुछ महीने में ही भारत आ जाएगी.
शाक्ति पूजा में मिलता है इतिहास
बांदा के नरैनी रोड स्थित राजादेवी डिग्री कालेज के प्राचार्य एवं इतिहास के प्रवक्ता डा. संतोष कुमार के मुताबिक छठीं से 10वीं सदी के बीच शाक्त पूजा का इतिहास मिलता है. इसमें दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती, 64 योगिनी, काली जैसी अनेक देवियों की आराधाना का उल्लेख है. चंदेल काल में बुंदेलखंड का महोबा भले ही सैन्य राजधानी रहा है, लेकिन खजुराहो व कालिंजर सांस्कृतिक राजधानी के रूप में था. उस दौरान गांवों में ऐसी मूर्तियों की पूजा तंत्र-मंत्र की शक्ति के लिए भी की जाती थी.
चित्रकूट के लोखारी की योगिनी वृषानन प्रतिमा दिल्ली म्यूजियम में
चित्रकूट के लोखारी गांव में भी दुर्लभ तृष्णा योगिनी वृषानन मूर्ति थी. यहां की मूर्ति इंग्लैंड के जरिए फ्रांस पहुंची थी. अतर्रा के पुनाहुर गांव के मूल निवासी व अखिल भारतीय बुंदेलखंड विकास मंच के सचिव नसीर अहमद सिद्दीकी की पैरवी से यह मूर्ति 2019 में भारत लाई गई थी, जो नेशनल म्यूजियम दिल्ली में रखी है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-Volkswagen Tiguan Facelift भारत में लॉन्च, जानें कीमत समेत इस शानदार कार की अन्य खूबियां
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