नई दिल्ली. केंद्र सरकार द्वारा निरस्त किए गए तीन कृषि कानूनों को लेकर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के हालिया बयान पर भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि उनका बयान किसानों के साथ छल करने वाला और देश के प्रधानमंत्री को भी नीचा दिखाने वाला है. नरेंद्र तोमर ने शुक्रवार को नागपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह संकेत दिया था कि सरकार इन कानूनों को वापस ला सकती है. उन्होंने कहा था कि सरकार निराश नहीं है, हम एक कदम पीछे हटे हैं, आगे फिर बढ़ेंगे.
राकेश टिकैत ने रविवार को ट्विटर पर लिखा, हम एक कदम पीछे हटे हैं, फिर आगे बढ़ेंगे, नागपुर में कृषि मंत्री का यह बयान देशभर के किसानों के साथ छल वाला और देश के प्रधानमंत्री को भी नीचा दिखाने वाला है. भारतीय किसान यूनियन ऐसे गैरजिम्मेदाराना बयान की घोर निंदा करती है. याद रहे, किसानों के लिए दिल्ली दूर नहीं.
कृषि मंत्री ने कार्यक्रम में तीनों कृषि कानूनों को आजादी के बाद लाया गया एक बड़ा सुधार करार दिया था. उन्होंने कहा था, कृषि क्षेत्र में निजी निवेश का आज भी अभाव है. हम कृषि सुधार कानून लेकर आए थेज् कुछ लोगों को यह रास नहीं आयाज् लेकिन वह 70 वर्षों की आजादी के बाद एक बड़ा सुधार था, जो नरेंद्र मोदी की सरकार के नेतृत्व में आगे बढ़ रहा था, लेकिन सरकार निराश नहीं है. हम एक कदम पीछे हटे हैं, आगे फिर बढ़ेंगे. क्योंकि हिंदुस्तान का किसान हिंदुस्तान की रीढ़ की हड्डी है.
कृषि मंत्री ने अपने बयान पर दी सफाई
नरेंद्र तोमर के इस बयान के बाद कांग्रेस ने सरकार पर निशाना साधा और इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से स्पष्टीकरण की मांग की. राहुल गांधी ने तो तोमर के बयान को प्रधानमंत्री की माफी का अपमान करार दिया. उन्होंने ट्वीट किया, देश के कृषि मंत्री ने मोदी जी की माफी का अपमान किया है- ये बेहद निंदनीय है. अगर फिर से कृषि विरोधी कदम आगे बढ़ाए तो फिर से अन्नदाता सत्याग्रह होगा. पहले भी अहंकार को हराया था, फिर हरायेंगे!
हालांकि कृषि मंत्री ने आज अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा कि सरकार की हाल में निरस्त किए गए कृषि कानूनों को वापस लाने की कोई योजना नहीं है और उन्होंने किसानों से इस मुद्दे पर कांग्रेस द्वारा पैदा किए जा रहे भ्रम से सावधान रहने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों के हितों की रक्षा करने के लिए कृषि सुधार कानूनों को वापस लेने का फैसला किया था.
प्रधानमंत्री मोदी ने 19 नवंबर को राष्ट्र को दिए संबोधन में राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर किसानों के एक साल लंबे चले आंदोलन को खत्म करने की कवायद में तीन विवादित कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा की थी. इसके बाद इस महीने किसानों ने सरकार से अन्य मुद्दों पर आश्वासन मिलने के बाद आंदोलन को खत्म कर दिया.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-मोदी सरकार फिर लाएगी कृषि कानून? केंद्रीय मंत्री तोमर बोले- हम एक कदम पीछे हटे, फिर आगे बढ़ेंगे
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