चेन्नई. मद्रास हाईकोर्ट की मदुरई बेंच ने मंगलवार को स्पा में सीसीटीवी कैमरा लगाए जाने पर आपत्ति जताई है. कोर्ट का कहना है कि स्पाम में कैमरा लगाया जाना ‘शारीरिक’ निजता का उल्लंघन है. साथ ही कोर्ट ने 2020 में एक अन्य न्यायाधीश की तरफ से जारी किए गए आदेश को भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन बताया. कोर्ट एक स्पा संचालक की तरफ से दायर की गई याचिका पर सुनवाई कर रहा था.
मंगलवार को जस्टिस स्वामीनाथन की तरफ से जारी आदेश में कहा गया, ‘स्पा जैसे परिसर में सीसीटीवी उपकरण लगाना व्यक्ति की शारीरिक स्वायत्तता को प्रभावित करेगी. ये उल्लंघन नहीं करने वाले स्थान हैं, जहां राज्य की ताक-झांक करने वाली आंखों को प्रवेश की अनुमति नहीं दी जा सकती.’ उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अनुच्छेद 21 में गारंटी दी गई निजता के अलग-अलग रूप हैं. इनमें शारीरिक स्वायत्तता का अधिकार, सूचना से जुड़ी निजता का अधिकार और विकल्प की निजता शामिल है.
मदुरई बेंच के सामने पहुंचे मामला ‘क्वीन आयुर्वेदिक क्रॉस स्पा सेंटर’ के संचालक पायल बिस्वास की याचिका से जुड़ा है. बिस्वास तमिलनाडु के त्रिची में स्पा चलाते हैं. 2018 में आई एक अधिसूचना में स्पा के लिए लाइसेंस अनिवार्य कर दिया गया था और बिस्वास ने इसी तरह के लाइसेंस के लिए आवेदन किया था. आवेदन पर कार्रवाई नहीं होने पर उन्होंने एक रिट याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने त्रिची पुलिस को अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने के आदेश देने की मांग की. स्पा संचालक यह भी चाहते हैं कि अदालत, अन्य आदेशों के आधार पर पुलिस के स्पा में दखल देने से रोके.
सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने 12 दिसंबर 2020 में जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम की तरफ से दिए गए आदेश का जिक्र किया. उस दौरान उन्होंने तमिलनाडु में सभी स्पा, मसाज और थैरेपी सेंटर में सीसीटीवी कैमरा स्थापित करने के आदेश दिए थे, ताकि अवैध गतिविधियों को रोका जा सके. साथ ही उन्होंने शिकायत की स्थिति में पुलिस को कार्रवाई की अनुमति भी दी थी. जस्टिस स्वामीनाथन ने कहा कि जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम का आदेश निजता को लेकर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जारी आदेश के विपरीत था.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका दिल्ली हाईकोर्ट ने की खारिज, कहा- विनिवेश की प्रक्रिया नीतिगत फैसला
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