भोपाल. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि सूबे में पहले 6 से 7 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होती थी. लेकिन पिछले 18 वर्ष में इसकी वृद्धि 43 लाख हेक्टेयर तक हो गई है. हमारा लक्ष्य 65 लाख हेक्टेयर का है. सरकारी और निजी दोनों साधनों से इस वक्त सूबे में लगभग एक करोड़ आठ लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई हो रही है. भरपूर सिंचाई से ही एमपी कृषि के मामले में अग्रणी राज्यों में शामिल हो चुका है. सिंचाई की सुविधाएं और बढ़ाई जाएंगी, क्योंकि इसी ने कृषि की काया पलटी है. प्रदेश में 11 जलवायु क्षेत्र हैं. हमारी गेहूं की गुणवत्ता विश्वविख्यात है. गेहूं उत्पादन में हमने पंजाब को भी पीछे छोड़ दिया है.
चौहान ने रविवार को धार जिले की बदनावर तहसील में 360 करोड़ रुपये की लागत से एक सोया प्लांट की आधारशिला रखते वक्त यह बात कही. सीएम ने कहा कि दलहन, तिलहन उत्पादन में हम आगे आ गए हैं. यही नहीं फलों, सब्जियों और औषधीय पौधों के उत्पादन में भी मध्य प्रदेश प्रगति कर रहा है. एक समय सोयाबीन में भी मध्य प्रदेश नंबर एक पर था. इस फसल ने किसानों की आर्थिक हालत बदलने का काम किया था.
चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में सोया इंडस्ट्री स्थापित करने के लिए प्रयास बढ़ाए जाएंगे. किसानों के हित में सोया उद्योग को फिर से खड़ा करना है. सोयाबीन उत्पादन में वृद्धि, उत्पादन की बिक्री और प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना से किसानों को लाभ दिलवाने में मदद मिलेगी. प्रयास यह करेंगे कि किसानों के परिश्रम का उन्हें भरपूर मूल्य मिले. इसलिए निर्यात के क्षेत्र में भी प्रयास बढ़ाए जाएंगे.
वर्तमान में सोयाबीन ऑयल का आयात बढ़ने से देश पूंजी का खर्च हो रहा है. इस नाते सोया प्रसंस्करण इकाइयों की शुरुआत मायने रखती है. किसानों से कच्चा माल लेकर उनके प्रोडक्ट का वेल्यू एडिशन कर उन्हें लाभ दिलवाने के लिए ऐसी इकाइयों की स्थापना को प्रोत्साहित किया जाएगा. सोयाबीन के रकबे में वृद्धि होगी तो किसान लाभान्वित होंगे. मध्य प्रदेश सोयाबीन का सबसे बड़ा उत्पादक है. यह यहां की प्रमुख फसल है.
सीएम ने कहा कि किसानों के परिश्रम से मध्य प्रदेश को सात बार कृषि कर्मण अवार्ड प्राप्त हुआ है. अब हम कृषि से खाद्य प्रसंस्करण की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं. मध्य प्रदेश में निवेश के अनुकूल वातावरण है. प्रधानमंत्री किसानों की आय दोगुनी करना चाहते हैं. यह हमारा भी संकल्प है. प्रदेश में उत्पादन वृद्धि, लागत घटाने, उचित मूल्य दिलवाने की व्यवस्था के साथ जीरो परसेंट पर लोन जैसी सुविधाओं को उपलब्ध करवाया जा रहा है. भावांतर भरपाई योजना के माध्यम से किसानों को बाजार से फसल के मूल्य के अंतर की राशि उपलब्ध करवाई गई
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-एमपी के जबलपुर में कोरोना की रफ्तार और तेज, 190 पाजिटिव मामले मिले
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