नई दिल्ली. गलत तथ्यों के आधार पर अगर किसी महिला के साथ यौन संबंध बनाया जाता है तो इसे महिला की सहमति के रूप में नहीं माना जाएगा. बंबई हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने एक युवक की याचिका को खारिज करते यह टिप्पणी की है. युवक ने अपने खिलाफ बलात्कार के एफआईआर को खत्म करने के लिए हाई कोर्ट में यह याचिका दायर की थी. दरअसल, युवक ने शादी का वादा कर एक महिला को मंगेतर बनाया था और उसके साथ सेक्शुअल रिलेशनशिप कायम किया था लेकिन बाद में वह मुकर गया. इसके बाद महिला ने युवक के खिलाफ रेप का केस दायर किया था. पुलिस ने इस मामले में मंगेतर की शिकायत के आधार पर युवक के खिलाफ केस दर्ज किया था. मंगेतर ने शिकायत की थी कि भंडारा जिले के युवक ने उससे जल्द शादी का वादा कर अपने जंगल रिसॉर्ट में यौन संबंध बनाया था.
डिवीजन बेंच के जस्टिस अतुल चंदुरकर और जस्टिस गोविंद सनाप ने इस मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि एफआईआर से यह स्पष्ट है कि युवक की मंशा बहुत ही गलत थी. उसने पीड़िता की इच्छा के विरूद्ध शादी के वादे के आधार पर उससे सेक्स के लिए सहमति हासिल की. इस तरह की सहमति को मुक्त नहीं माना जा सकता, क्योंकि यह सहमति इसलिए मिली क्योंकि युवक ने उसके सामने गलत तथ्य पेश किए. बंबई हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने कहा युवक की यह हरकत धोखाधड़ी का सामान्य मामला नहीं माना जा सकता है बल्कि यह बलात्कार का संगीन अपराध था. बेंच ने कहा कि इस हरकत में युवक की गलत मंशा पहले से ही छुपी हुई थी. युवक पहले से यह सोच रखा था कि एक बार जब उसकी यौन वासना पूरी हो जाएगी तो वह शादी से मुकर जाएगा. इसलिए यौन संबंध बनाते हुए आरोपी की मंशा को समग्रता के साथ देखे जाने की जरूरत है. कोर्ट ने कहा कि मामले के सभी पक्षों को ध्यान में यह केस निरस्त होने की क्षमता रखता है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-महाराष्ट्र: राज्य सरकार ने कोरोना पाबंदियों में किया बदलाव, यहा है नई गाइडलाइंस
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