नई दिल्ली. क्रिप्टोकरेंसीज में देश में करोड़ों लोग पैसा लगा रहे हैं. लोग इनमें उतार-चढ़ाव की परवाह किए बिना मोटी कमाई की उम्मीद में निवेश कर रहे हैं. लेकिन इसको लेकर सरकार की एजेंसियां लगातार सख्ती दिखा रही हैं. रिजर्व बैंक के बाद अब देश के एक और नियामक ने क्रिप्टोकरेंसीज के बारे में सख्त रुख दिखाया है. सेबी ने म्यूचुअल फंड के क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े प्रोडक्ट लाने पर रोक लगा दी है.
शेयर बाजार नियामक SEBI ने साफ किया है कि कोई भी म्यूचुअल फंड किसी क्रिप्टो करेंसी प्रोडक्ट में निवेश नहीं कर सकता. पहले सेबी ने खुद क्रिप्टो से जुड़े एक न्यू फंड ऑफर को मंजूरी दी थी. लेकिन सेबी अब यह चाहता है कि जब तक सरकार इस बारे में कोई कानून नहीं बना देती, तब तक क्रिप्टो से जुड़ा कोई न्यू फंड ऑफर न आए.
क्रिप्टोकरेंसीज के बारे में हाल में कई नेगेटिव खबरें आई हैं. खबर है कि क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों को बीमा सुरक्षा नहीं मिल सकती. इसके अलावा, क्रिप्टोकरेंसी को लेकर रिजर्व बैंक की फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट में भी चेतावनी जारी की गई है.
SEBI के नए नियम
(1) SEBI के चेयरमैन अजय त्यागी ने कहा है कि जब तक सरकार के इस बारे में साफ रेगुलेशन नहीं आ जाते, कोई भी म्यूचुअल फंड क्रिप्टो से जुड़ा कोई फंड भी लॉन्च न करे और न ही क्रिप्टो के निवेश वाले किसी दूसरे फंड में पैसा लगाए. इससे उन म्यूचुअल फंड्स को भारी झटका लगा है जो क्रिप्टो से जुड़े फंड लाने की तैयारी कर रहे थे. असल में सेबी ने इसी वजह से सख्त कदम उठाया है, क्योंकि क्रिप्टो को लेकर सरकार की तरफ से अभी कोई साफ रेगुलेशन नहीं आया है. इसके बावजूद भारत में क्रिप्टोकरेंसी में निवेश और कारोबार किया जा रहा है.
(2) इनवेस्को कॉइन शेयर्स ग्लोबल ब्लॉकचेन ETF फंड को सेबी से मंजूरी मिल चुकी है. हालांकि उसने खुद इसकी लॉन्चिंग टाल दी है. सचिन बंसल के नावी म्यूचुअल फंड ने भी एक ब्लॉकचेन इंडेक्स FoF की मंजूरी के लिए आवेदन किया है.रिजर्व बैंक ने साल 2018 में क्रिप्टो पर बैन लगाने की कोशिश भी की थी. यह मामला सुप्रीम कोर्ट में गया और कोर्ट ने इसे रोक दिया. कोर्ट ने कहा कि इस बारे में सरकार ही कोई नियम बनाए. अब यह मसला अब संसद के पाले में है.
(3) इस बारे में संसद में एक बिल पेंडिंग है. इस बारे में तमाम तरह के अनुमान जारी किए जा रहे हैं कि सरकार क्रिप्टो पर पूरी तरह से बैन लगा सकती है, या इसे महज एसेट मानकर कारोबार करने की इजाजत दी जा सकती है.रिजर्व बैंक की फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट में भी क्रिप्टोकरेंसी को लेकर चिंता जताई गई है. इसमें तो यहां तक चेतावनी दी गई है कि इनसे ग्राहकों की डेटा सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है और टेरर फाइनेंसिंग को बढ़ावा मिल सकता है
(4) 29 दिसंबर को जारी यह रिपोर्ट यह भी कहती है कि क्रिप्टो करेंसी से फ्रॉड का खतरा है. ये करेंसी काफी संदिग्ध प्रकृति के हैं जिसकी वजह से इनमें भारी उतार-चढ़ाव का जोखिम रहता है.
(5) क्रिप्टोकरेंसी पर अभी कोई स्पष्ट नियम न होने से इसका फायदा तमाम एक्सचेंज उठा रहे हैं. देश में करोड़ों लोग कई एक्सचेंजों के द्वारा क्रिप्टोकरेंसीज की खरीद-फरोख्त कर रहे हैं. देश में बिटकॉइन, इथेरियम, शिबा इनु, डॉजकॉइन, जैसी दर्जनों क्रिप्टोकरेंसी में निवेश किया जा रहा है.
(6) अंतराष्ट्रीय बाजार की बात करें तो मार्केट कैप के लिहाज से सबसे बड़ी क्रिप्टो करेंसी बिटकॉइन ने पूरे साल 2021 के दौरान करीब 65 फीसदी का रिटर्न दिया. लेकिन इस साल का सितारा क्रिप्टो रहा बिनांस होल्डिंग जिसमें पूरे साल के दौरान 1300 फीसदी की शानदार बढ़त हुई. दूसरे पायदान पर रहा ईथर जिसमें 2021 में करीब 408 फीसद की अच्छी बढ़त हुई.कुल मिलाकर तस्वीर यह है कि अभी क्रिप्टोकरेंसी में निवेश जोखिम से भरा हुआ है. इनसे जुड़े उत्पादों के लिए भी राह आसान नहीं है. क्रिप्टो के बारे में संसद के द्वारा कानून बनाने के बाद ही तस्वीर साफ हो पाएगी.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में बड़े आतंकी हमले का खतरा, आईबी ने जारी किया अलर्ट
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