नई दिल्ली. कर्नाटक में हिजाब विवाद का मामला ठंडा होते हुए नहीं दिख रहा है. अब उडुपी कॉलेज ने हिजाब पहनने की मांग पर अड़ी छात्राओं से कहा है कि यदि वे परीक्षा में शामिल होना चाहती हैं तो ऑनलाइन क्लास के विकल्प को चुन सकती हैं. हालांकि कॉलेज के इस फैसले पर भी स्थानीय नेताओं ने आपत्ति जताई है. स्थानीय नेताओं का कहना है कि कॉलेज फूट की राजनीति कर रहा है. गौरतलब है कि पिछले दिनों कर्नाटक के उडुपी जिले के सरकारी महिला कॉलेज की छह छात्राओं ने कॉलेज हिजाब न पहनने के सुझाव को मानने से इन्कार कर दिया था. अब कॉलेज समिति ने छात्राओं से कहा है कि यदि वे कक्षा में हिजाब पहनना ही चाहती हैं तो ऑनलाइन क्लास का विकल्प अपना सकती हैं. हालांकि छात्राएं इस पर भी राजी नहीं हैं और उनका आरोप है कि यह हमारे मौलिक अधिकारों का हनन है.
छात्राओं के माता-पिता ने कहा, अगर सरकार यह सोचती है कि हिजाब पहनना अपराध है और हमारी बेटी को परीक्षा देने से रोक सकती है तो हम इसे घर पर ही रहने देंगे. हम चाहते हैं कि हमारी बेटी पढ़ें, आगे बढ़ें लेकिन उनके अधिकार को छीना जा रहा है. उन्होंने कहा कि यह हताशा में लिया गया निर्णय है. 1 जनवरी को कर्नाटक में उडुप्पी के सरकारी कॉलेज ने छह मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनने के कारण क्लास रूम में आने से मना कर दिया था. इसके बाद यह विवाद काफी बढ़ गया. कर्नाटक के पापुलर फ्रंट आफ इंडिया के राज्य महासचिव, नासिर पाशा ने आरोप लगाया था कि यहां हिजाब के मुद्दे पर अनावश्यक विवाद पैदा कर रहे हैं जो कि मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता का भी उल्लंघन करना है.
एक छात्रा ने बताया कि हमारे साथ अपराधी की तरह व्यवहार किया जा रहा है. हमें अपनी धार्मिक मान्यताओं के पालन करने का मौलिक अधिकार चाहिए. उन्होंने कहा कि कॉलेज में हमें अपने साथियों से बातचीत करने की अनुमति नहीं है. अगर कोई साथी हमसे बातचीत करता है तो उसे चेतावनी दी जाती है. अभी भी हम छह छात्राओं को कॉलेज आने की अनुमति नहीं है. जब से इन छात्राओं को बाहर कर दिया गया तब से यह मामला राज्य के तटीय इलाकों में सांप्रदायिक रूप ले लिया है. यह इलाका पहले से ही संवेदनशील है. कॉलेज विकास समिति के अध्यक्ष बीजेपी एमएलए के रघुपति भाट ने इन छात्राओं से कहा है कि जब तक इस मामले का निपटारा नहीं होता तब तक ये छात्राएं ऑनलाइन क्लासेज कर सकती हैं. विरोध कर रही छात्राओं ने कहा कि हिजाब पहनना उनका संवैधानिक अधिकार है और वे ऑनलाइन कक्षा में शामिल नहीं होना चाहती हैं. यह भेदभावपूर्ण है. उन्होंने कहा कहा कि मुस्लिम समुदाय की अन्य लड़कियां जो हिजाब नहीं पहनती हैं, वे डर से इस मामले में नहीं बोल रही है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-कर्नाटक में लोन न मिलने से नाराज हुआ शख्स, बैंक में लगा दी आग
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