सूर्यकरण गांधी: गरीबों को कुछ सुख देना था, इसके लिए सत्य-अहिंसा का मार्ग अपनाया!

सूर्यकरण गांधी: गरीबों को कुछ सुख देना था, इसके लिए सत्य-अहिंसा का मार्ग अपनाया!

प्रेषित समय :20:39:52 PM / Fri, Feb 4th, 2022

भंवर पंचाल. बांसवाड़ा युवक कांग्रेस के जिलाध्यक्ष, जिला कांग्रेस के महामंत्री, अग्रिम संगठनों सहित कई प्रकोष्ठो के प्रभारी, राजनीतिक प्रशिक्षक जैसे अनेक महत्वपूर्ण पदो पर रहे कांग्रेस के समर्पित कार्यकर्ता सूर्यकरण गांधी नहीं रहे.

सूर्यकरण गांधी एक बहुत ही सरल और मृदुभाषी व्यक्ति थे. वह मेरे बहुत ही करीब थे. मेरे और उनके उम्र में काफी फर्क था, लेकिन कभी उन्होंने यह एहसास नहीं होने दिया है कि मैं बहुत छोटा हूं. वह मुझसे हमेशा हमउम्र मित्रवत ही मिलते थे. यह उनकी महानता रही कि वह हर व्यक्ति से सेवाभाव के तौर पर ही मिलते थे. हमेशा सहायता देने के लिए आगे आते थे.

पिछली बार लगभग छह माह पूर्व मैं जब उनसे मिला और मैंने अपनी कोई समस्या बताई तो तुरंत उन्होंने उस पर कार्यवाही में सहयोग प्रदान किया.

जैसा मैंने उनके जीवन को देखा, तो मैंने पाया कि वह राजनीति से जुड़े हो कर भी आधुनिक राजनीति में फिट नहीं थे, क्योंकि उनके मन में सेवाभाव सर्वाेपरि था, इसीलिए उन्होंने सेवा भाव वाली संस्था की बागडोर संभाले रखी.

आज उनका हमारे बीच में नहीं होना बहुत ही दुखद है और बांसवाड़ावासियों को उनकी कमी हमेशा खलती रहेगी. उनका जीवन सेवा का संघर्षपूर्ण जीवन था. उन्होंने अपने जीवन में काफी कठिनाइयां है देखी, लेकिन कभी हार नहीं मानी.

तण वाटे सम्मान- सूर्यकरण गांधी को, एक अकेला चलता रहा!

जयपुर(30/9/2021) पहली वागड़ी फिल्म के सम्मान में प्रतिमाह पुरस्कार- तणवाटे सम्मान प्रारंभ किया गया, जो वागड़ और वागड़ी के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान प्रदान करनेवाले मीडिया कर्मियों और वागड़ी फिल्म के लिए महत्वपूर्ण प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष सहयोग प्रदान करने वालों को प्रदान किया जा रहा है, जिसमें सम्मान राशि और अभिनंदन पत्र प्रदान किया जा रहा है.
पहली वागड़ी फिल्म तण वाटे को सरकारी मान्यता में सहयोग प्रदान करने में कांग्रेस के प्रमुख नेता सूर्यकरण गांधी की महत्वपूर्ण भूमिका रही, उन्हें तण वाटे सम्मान- प्रदान किया.

एक अकेला चलता रहा में लिखते हैं....

देश की आजादी से पूर्व जन्मे सूर्यकरण गांधी में आजादी की ललक रही जो आजादी के बाद विद्रोही के रूप में जगी रही.

एक उम्र के बाद जैन साधु- साध्वी बने माता- पिता की संतान गांधी में वैराग्य कम रहा पर व्यवस्था के छेदों को भरने की चाहत ज्यादा थी, जिसके प्रभाव में ही नैतिकता और आदर्श रहे. छात्र राजनीति के बाद पार्टी पालिटिक्स से जुड़े.

जीवन भर संघर्षरत रहने से समाज में मुकाम हासिल किया और 1 मार्च को जीवन के 75 वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं.

जीविकोपार्जन के लिए स्वयं का व्यवसाय करने वाले, चार भाई-बहिन में सबसे छोटे गांधी कांग्रेस में कई पदों पर रहे पर कभी अहंकार नहीं आया, शहरी के साथ ही ग्रामीण जन की सेवा में हमेशा तत्पर रहे. जनजीवन को सरल करने के लिए गांधी लगातार मुख्यमंत्री, मंत्री, अधिकारियों से मिलते रहे और आज भी सक्रिय रहते हैं.

गरीब, वंचितों के लिए, अपनी छोटी-छोटी जरूरतों के लिए व्यस्त रहने वाले, पेट भरने के लिए पलायन करने वाले, स्वास्थ्य, शिक्षा की व्यवस्था होते हुए भी इन सुविधाओं से दूर रहने वाले लोगों के लिए आवाज़ उठाना और मांगों को, जरूरतों को पूरा करने का प्रयास करने वाले सूर्यकरण गांधी के जीवन का लक्ष्य गरीबों को कुछ सुख देना था, इसके लिए सत्य-अहिंसा का मार्ग अपनाया!

पहली वागड़ी फिल्म- तण वाटे फिल्म पूरी होने के बाद 15 अगस्त को फिल्म के निर्देशक- प्रदीप द्विवेदी को तत्कालीन बांसवाड़ा कलेक्टर भरतराम मीणा ने प्रशंसा-पत्र प्रदान कर इसे मान्यता प्रदान की थी.

इस फिल्म के निर्माण में प्रमुख कलाकार- जगन्नाथ तेली, भंवर पंचाल, कैलाश जोशी, फिल्मकार सालेह सईद, कुतुबुद्दीन, संगीत निर्देशक- डॉ शाहिद मीर खान, अनिल जैन, हेमंत त्रिवेदी सहित जनसंपर्क विभाग के वरिष्ठ अधिकारी रहे गोपेन्द्र नाथ भट्ट, प्रमुख कवि हरीश आचार्य, नागेंद्र डिंडोर, घनश्याम नूर, हिम्मत लाल हिम्मत, रामनारायण शुक्ला, सूर्यकरण गांधी, कुंजबिहारी चौबीसा, सतीश आचार्य सहित सैकड़ों वागड़वासियों का प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष उल्लेखनीय योगदान रहा.

तण वाटे सम्मान- सूर्यकरण गांधी को, एक अकेला चलता रहा! 

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Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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