राजनांदगांव. छत्तीसगढ़ के कबीरधाम में दो समुदायों के बीच हुए विवाद की आग तो बुझ गई है लेकिन सियासत आज भी जारी है. सांसद संतोष पाण्डेय की शिकायत पर लोकसभा सचिवालय ने संज्ञान लिया है. 15 दिन में छत्तीसगढ़ के डीजीपी से जवाब मांगा गया है. छत्तीसगढ़ सभी बीजेपी सांसदों के साथ राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र के सांसद संतोष पाण्डेय ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला से शिकायत की थी.
दरअसल कवर्धा में झंडा विवाद के बाद पुलिस ने संतोष पाण्डेय पर एफआईआर दर्ज किया है और 2 महीने पहले संतोष पाण्डेय को पुलिस ने फरार घोषित किया है और पुलिस ने सांसद की संपत्ति का ब्योरा मांगा है. इस पर सांसद संतोष पाण्डेय के साथ छत्तीसगढ़ बीजेपी के सभी सांसदों ने एक पत्र के साथ लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला से शिकायत की थी.
इस पर लोकसभा सचिवालय ने छत्तीसगढ़ के डीजीपी अशोक जुनेजा को पत्र भेजा है. इस मामले में कवर्धा एसपी की भूमिका से लेकर अन्य विषयों पर विस्तार से जानकारी मांगी गई है. सचिवालय ने यह पूछा भी है कि जब सांसद के सार्वजनिक कार्यक्रम की जानकारी पुलिस के पास है, ऐसे में फरार कैसे घोषित किया गया. डीजीपी छत्तीसगढ़ इस मामले में तथ्यात्मक रिपोर्ट की कॉपी हिंदी और अंग्रेजी में मांगी गई है.
लोकसभा सांसद संतोष पाण्डेय ने छत्तीसगढ़ पुलिस के उच्च अधिकारियों पर संसदीय कर्तव्यों के निर्वहन में बाधा डालने का आरोप लगाया है. पांडेय ने कहा कि कवर्धा में जो झंडा का विवाद हुआ था, जिसके चलते लंबे समय तक कर्फ्यू के साएं में कवर्धा रहा. जनहित की मांगों को लेकर के जनप्रतिनिधि होने के नाते हम सबने उसमें भाग लिया था. सरकार छत्तीसगढ़ पुलिस का दुरुपयोग कर रही है. कवर्धा की पुलिस ने फरार घोषित किया है. केवल फरार घोषित ही नहीं किया उसके पूर्व मेरी संपत्ति की पूरी जांच करने की बात कही. इसमें षड्यंत्र की बू आ रही है साजिश की बू है.
सांसद संतोष पाण्डेय ने कहा दिशा समिति, जल जीवन मिशन, चिकित्सा समिति के तमाम बैठकों में जिलाधिकारी एवं पुलिस प्रशासन शामिल रहते हैं और इसके बावजूद भी मुझे proclaimed offender घोषित करने का षड्यंत्र किया जा रहा है, ताकि मैं अपने संसदीय कार्यों का निष्पादन न कर सकूं और मेरी छवि जनता के समक्ष धूमिल हो सके.
गौरतलब है कि अक्टूबर 2021 में कबीरधाम जिले में भगवा झंडे को लेकर दो समुदायों के बीच विवाद हो गया था. इसके चलते जिला प्रशासन ने जिले में कानून व्यवस्था के लिए कर्फ्यू लगाया था. दोनों पक्षों के उपद्रवियों की गिरफ्तारी हुई थी. इसमें बीजेपी के कई नेताओं और राजनांदगांव लोकसभा सांसद और पूर्व सांसद अभिषेक सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया था. इस मामले में बीजेपी ने राज्य सरकार को जमकर घेरा था और न्यायिक जांच की मांग की थी.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-छत्तीसगढ़: रियलिटी चेक में सरकारी दफ्तर से गायब मिले 5 अधिकारी और 160 कर्मचारी, कारण बताओ नोटिस जारी
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