उद्योगपति राहुल बजाज का 83 वर्ष की आयु में निधन, 2001 में मिला था पद्म भूषण

उद्योगपति राहुल बजाज का 83 वर्ष की आयु में निधन, 2001 में मिला था पद्म भूषण

प्रेषित समय :17:25:08 PM / Sat, Feb 12th, 2022

नई दिल्ली. बजाज के पूर्व चेयरमैन राहुल बजाज का आज पुणे में निधन हो गया. वे 83 साल के थे. बजाज लंबे समय से कैंसर से पीडि़त थे. उनके निधन की खबर आते ही सोशल मीडिया पर लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि देना शुरू कर दिया है. वे पिछले एक महीने से अस्पताल में भर्ती थे. रूबी हॉल क्लिनिक के मैनेजिंग ट्रस्टी डॉ. पुरवेज ग्रांट ने कहा कि उन्हें निमोनिया था और दिल की भी समस्या थी. राहुल बजाज ने दोपहर 2.30 बजे आखिरी सांस ली. इस दौरान उनके परिवार के करीबी सदस्य उनके पास मौजूद थे.

राहुल का जन्म 10 जून, 1938 को कोलकाता में मारवाड़ी बिजनेसमैन कमलनयन बजाज और सावित्री बजाज के घर हुआ था. बजाज और नेहरू परिवार में तीन जनरेशन से फैमिली फ्रैंडशिप चली आ रही थी. राहुल के पिता कमलनयन और इंदिरा गांधी कुछ समय एक ही स्कूल में पढ़े थे. 2001 में उन्हें पद्म भूषण का सम्मान भी मिल चुका है.

1965 में संभाला था बजाज ग्रुप का जिम्मा

राहुल बजाज ने 1965 में बजाज ग्रुप की जिम्मेदारी संभाली थी. उनकी अगुआई में बजाज ऑटो का टर्नओवर 7.2 करोड़ से 12 हजार करोड़ तक पहुंच गया और यह स्कूटर बेचने वाली देश की अग्रणी कंपनी बन गई. वे 50 साल तक बजाज ग्रुप के चेयरमैन रहे. 2005 में राहुल ने बेटे राजीव को कंपनी की कमान सौंपनी शुरू की थी. तब उन्होंने राजीव को बजाज ऑटो का मैनेजिंग डायरेक्टर बनाया था, जिसके बाद ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में कंपनी के प्रोडक्ट की मांग न सिर्फ घरेलू बाजार में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी बढ़ गई.

गैरेज शेड में बनाया था पहला बजाज स्कूटर

देश की दिग्गद टू-व्हीलर कंपनी बजाज की जड़ें स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी हुई हैं. जमनालाल बजाज (1889-1942) अपने युग के यशस्वी उद्योगपति थे, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भी हिस्सा लिया था. आजादी की लड़ाई के दौरान वे महात्मा गांधी के भामाशाह थे. 1926 में उन्होंने ट्रेडिंग करने के लिए उन्हें गोद लेनेवाले सेठ बछराज के नाम से एक फर्म बनाई बछराज एंड कंपनी. 1942 में 53 वर्ष की उम्र में उनके निधन के बाद उनके दामाद रामेश्वर नेवटिया और दो पुत्रों कमलनयन और रामकृष्ण बजाज ने बछराज ट्रेडिंग कारपोरेशन की स्थापना की.
1948 में इस कंपनी ने आयातित कॉम्पोनेंट्स से असेम्बल्ड टू-व्हीलर और थ्री व्हीलर लाॉन्च किए थे. पहला बजाज वेस्पा स्कूटर गुडग़ांव के एक गैरेज शेड में बना था. इसके बाद बछराज ट्रेडिंग कारपोरेशन ने कुर्ला में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाया, जो बाद में आकुरडी में शिफ्ट किया गया. यहां फिरोदियाज की भागीदारी में बजाज परिवार ने टू-व्हीलर और थ्री-व्हीलर वाहन बनाने के लिए अलग अलग प्लांट्स लगाए. 1960 में कंपनी का नामकरण हुआ बजाज ऑटो.

बजाज के बुकिंग नंबर बेचकर लोगों ने लाखों कमाए

कम मूल्य और कम रखरखाव के साथ छोटे परिवार और छोटे ट्रेडर्स के लिए बेहद उपयुक्त बजाज ब्रांड वेस्पा स्कूटर बहुत जल्दी इतने लोकप्रिय हो गए कि 70 और 80 के दशक में बजाज स्कूटर खरीदने के लिए लोगों को 15 से 20 साल इंतजार करना पड़ता था. कई लोगों ने तो उन दिनों बजाज स्कूटर के बुकिंग नंबर बेचकर लाखों कमाए और घर बना लिए.

टीचर को कह दिया था यू जस्ट कान्ट बीट अ बजाज

बचपन में क्लास रूम से निकाले जाने पर अपने टीचर को यू जस्ट कान्ट बीट अ बजाज कहने वाले राहुल बजाज की फितरत किसी के अधीन काम करने वाली नहीं रही. राहुल बजाज व फिरोदिया परिवार में कारोबार के विभाजन को लेकर विवाद हुआ. सितम्बर 1968 में लम्बी कानूनी लड़ाई के बाद फिरोदियाज को बजाज टेम्पो मिला और राहुल बजाज बजाज ऑटो के चेयरमेन व मैनेजिंग डायरेक्टर बने. उनके तब प्रतिस्पर्धी थे- एस्कार्ट, एनफील्ड, एपीआई, एलएमएल व काइनेटिक. इन सबकी दो पहिया वाहन मार्केट 25 प्रतिशत व तिपहिया वाहन मार्केट में तब हिस्सेदारी थी 10 प्रतिशत. शेष हमारा बजाज ने लॉक कर रखी थी.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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