सऊदी अरब में महिलाएं अब हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं. बदलाव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हाल ही में मक्का और मदीना के बीच एक बुलेट ट्रेन में महिला ड्राइवर के 30 पदों पर आवेदन मांगे गए थे. इसके लिए 28 हजार महिलाओं ने फॉर्म भरा था.
बुलेट ट्रेन चलाने वाली कंपनी रेनफे के लिए एक बड़ी समस्या खड़ी हो गई. कंपनी ने शैक्षिक योग्यता और अंग्रेजी के ज्ञान के लिए मानक निर्धारित किए. 14 हजार फॉर्म निरस्त कंपनी मार्च के अंत तक स्क्रूटनी जारी रखेगी. 30 चयनित महिला चालकों को 1 वर्ष के प्रशिक्षण के बाद बुलेट ट्रेन के संचालन के लिए नियुक्त किया जाएगा. रैनफ कंपनी का कहना है कि अब तक बुलेट ट्रेन का संचालन पुरुष चालक करता था.
कंपनी ने हाल ही में बुलेट ट्रेन का प्रबंधन भी महिलाओं को सौंपने का फैसला किया है. विशेष रूप से, महिलाओं को 2018 तक सऊदी में कार चलाने की भी अनुमति नहीं थी. पांच वर्षों में देश के कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी दोगुनी हो गई है. वर्तमान में कुल कार्यबल का 33% महिलाएं हैं.
सऊदी महिलाओं के अधिकारों को अब तक रूढ़िवादी माना जाता रहा है. 2021 के आंकड़ों के मुताबिक सऊदी अरब में महिलाओं की बेरोजगारी दर तीन गुना हो गई है, लेकिन पिछले कुछ सालों में महिलाओं को मुख्यधारा में लाने के प्रयास किए गए हैं. गौरतलब है कि प्रिंस सलामा के सत्ता संभालने के बाद से सऊदी अरब में महिलाओं को लेकर कई बदलाव हुए हैं.
सऊदी अरब में अब तक अनुमानित 25 लाख महिलाओं को कार ड्राइविंग लाइसेंस मिल चुका है. देश की कुल जनसंख्या साढ़े तीन करोड़ है. सऊदी अरब में ऑटोमोबाइल उद्योग को भी महिलाओं के लिए ड्राइविंग लाइसेंस की शुरुआत से लाभ हुआ है. देश में कारों की बिक्री 2025 तक 9% बढ़ने का अनुमान है.
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