अनूपपुर. मां नर्मदा के उद्गम स्थल के साथ प्रवाहित होने वाली नर्मदा नदी विश्व की सबसे प्राचीनत नदियों में एक हैं, जहां पवित्र नगरी अमरकंटक से 4 किलोमीटर दूर घने जंगलों के बीच स्थित धूनी पानी स्थित है. मान्यता है कि महर्षि भृगु ने यहां धूनी रमा कर मां नर्मदा की आराधना की थी. जहां किसी भी तरह का जल स्रोत नहीं होने की वजह से महर्षि भृगु को प्रतिदिन पानी की समस्या होती थी. उन्हें पानी लेने के लिए थोड़ी ही दूर स्थित चिलम पानी नाम के जल स्रोत तक जाना पड़ता था.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जंगल के जीव-जन्तु जो भृगु ऋषि के साथी भी थे, उन्हें भी पानी के लिए भटकना पड़ता था. अपने साथियों की सुविधा के लिए उन्होंने जल स्रोत के लिए मां नर्मदा से प्रार्थना की थी, तब मां नर्मदा के आशीर्वाद से धूनी के समीप ही पांच जल स्रोत फूट पड़े थे.
पांचो कुंड से आज भी निकलती है जलधारा
धूनी पानी मे मंदिर के दाहिनी ओर अमृत कुंड और बांई ओर सरस्वती कुंड है. इन दोनों कुंडों के अलावा तीन छोटे कुंड भी हैं. भृगु कुंड, नारद कुंड और मोहान कुंड. मां नर्मदा की कृपा से धूनी के समीप पांच जलस्रोत के प्रकट होने के कारण ही इस स्थान का नाम धूनी-पानी पड़ गया. धूनी पानी पहुंचने के लिए पगडंडी रास्ते से 4 किलोमीटर चलकर घने जंगल के बीच जाना पड़ता है. दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालु तथा परिक्रमावासी यहां पहुंच कर मां नर्मदा की आराधना करने के साथ ही महर्षि भृगु की तपोस्थली को देखकर भाव विभोर हो उठते हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-अनूपपुर: यूक्रेन में फंसे कोतमा के छात्र का वीडियो आया सामने, परिजन लगा रहे मदद की गुहार
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