प्रदीप द्विवेदी. जो कभी महात्मा गांधी का चेहरा आगे करके राजनीति में कामयाब हुए, अब वे ही महात्मा गांधी को नजरअंदाज करके सफलता प्राप्त करना चाहते हैं, क्या यह गुजरात में भी संभव है?
इसका जवाब हां भी है और नहीं भी है!
महात्मा गांधी को आगे रख कर अन्ना आंदोलन चला और वहीं से अरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी का राजनीतिक उदय हुआ, पहले दिल्ली में बड़ी सफलता मिली, फिर पंजाब में भी कामयाबी का परचम लहराया, इस सफलता के बाद आप के हौसले बुलंद है, नतीजा? अब महात्मा गांधी को नजरअंदाज करने की सियासी प्रक्रिया शुरू हो गई है!
कुछ ऐसा ही अंदाज मोदी टीम का भी है, पीएम नरेंद्र मोदी भी प्रत्यक्ष तौर पर तो महात्मा गांधी का बहुत सम्मान प्रदर्शित करते हैं, लेकिन.... गोडसे पर मौन रहते हैं?
पल-पल इंडिया (1/10/2021) में- साहेब! गांधीजी का मुखौटा उतारकर कभी गोडसे पर भी मन की बात हो जाए? में कहा था... महात्मा गांधी हों, सरदार पटेल हों, शहीद भगत सिंह हों या कोई और, पीएम नरेंद्र मोदी के लिए ऐसे तमाम नेता केवल सियासी लाभ उठाने के लिए हैं, इनकी विचारधारा, सिद्धांत आदि से उनका कोई लेना-देना नहीं है?
पीएम मोदी चतुर राजनेता हैं, वे जानते हैं कि उनके पास अपना कोई ऐसा नेता नहीं है जिसके दम पर देश-प्रदेश में सियासी फायदा मिल सके, लिहाजा गुजरात में उन्होंने सरदार पटेल का नाम लिया और सियासी फायदा उठाया, लेकिन सरदार पटेल की विचारधारा को कभी स्वीकार नहीं किया!
यही नहीं, समय गुजर जाने के बाद सरदार पटेल स्टेडियम को अपने नाम करने में भी कोई शर्म महसूस नहीं की?
इसी तरह, पीएम मोदी जानते हैं कि महात्मा गांधी का पूरे विश्व में सम्मान है, भारत की तो पहचान ही गांधी से है, गांधी को नजरअंदाज करके विश्व में उन्हें सम्मान नहीं मिल सकता है, यह अभी मोदी की अमेरिका यात्रा में साफ नजर भी आ गया, इसलिए जाहिर तौर पर उन्होंने राजनीतिक लाभ के लिए महात्मा गांधी का मुखौटा भी धारण कर रखा है, लेकिन गोडसे पर कभी मन की बात नहीं कही, क्यों?
गांधी जयंती से पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया- स्वच्छ भारत अभियान में मिशन भी है, मान भी है, मर्यादा भी है, एक देश की महत्वाकांक्षा भी है और मातृभूमि के लिए अप्रतिम प्रेम भी है.
ये सुखद है कि स्वच्छ भारत मिशन 2.0 की शुरुआत गांधी जयंती से एक दिन पहले हुई है.
यह अभियान बापू की ही प्रेरणा का परिणाम है और बापू के आदर्शों से ही सिद्धि की ओर बढ़ रहा है!
सियासी सयानों का सवाल है कि- पीएम मोदी गांधी के सम्मान में तो बोलते रहते हैं, लेकिन गोडसे पर कब बोलेंगे? गोडसे के समर्थन में बोलने वाले अपने ही समर्थकों का कभी विरोध नहीं करेंगे, बहुत हुआ तो मन से माफ नहीं करेंगे?
साहेब! और कुछ नहीं तो शिवसेना के संजय राउत जैसी हिम्मत ही दिखाइए, जिन्होंने कहा कि- अगर नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की जगह मोहम्मद अली जिन्ना को मारा होता तो देश का बंटवारा रोका जा सकता था?
कितने आश्चर्य की बात है कि पाकिस्तान ने भले ही गुजरात के गांधी को अपने देश से हटा दिया गया हो, लेकिन कुछ समय पहले गांधी के गुजरात में पाकिस्तान के संस्थापक और भारत के बंटवारे के जिम्मेदार जिन्ना को सम्मान देने की कोशिश की गई?
सियासी सयानों का मानना है कि नैतिकता-मुक्त केवल चुनाव जीतना ही यदि किसी का मकसद है, तो कोई भी गुजरात में शराबबंदी समाप्त करने का ऐलान करके चुनाव जीत सकता है?
याद रहे- झूठ और बुराई जल्दी बहुमत हांसिल करती है, सच और अच्छाई को कामयाब होने में बड़ा वक्त लगता है!
साहेब! फर्जी डिग्रियों को भी मान्यता दे दो ना, इसके लिए भी 18-18 घंटे मेहनत करनी पड़ती है?
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Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-साहेब! फर्जी डिग्रियों को भी मान्यता दे दो ना, इसके लिए भी 18-18 घंटे मेहनत करनी पड़ती है? news in hindi https://t.co/LmQX3h4wVI
— Palpalindia.com (@PalpalIndia) April 1, 2022
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