प्रदीप द्विवेदी (खबरंदाजी). जिस गुजरात मॉडल के प्रचार के दम पर पीएम नरेंद्र मोदी ने केंद्र की सत्ता पर कब्जा जमाया था, वह ढेर हो चुका है, लिहाजा अब जल्दी ही नया मॉडल प्रकट होने वाला है?
गुजरात मॉडल बोले तो.... मोदी टीम ने 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए एक विजन डाक्यूमेंट तैयार किया था- गुजरात मॉडल, अर्थात.... अच्छे दिन... भरपूर नौकरी, ज्यादा कमाई, महंगाई की विदाई, शानदार शिक्षा, जानदार अर्थव्यवस्था, सुरक्षित बेहतर जीवन, सबूत दिया था- 2001 से 2012 के बीच गुजरात की जीडीपी 10 प्रतिशत के करीब रही, जो राष्ट्रीय विकास दर से ज्यादा थी, लेकिन हुआ क्या? सबके सामने है!
पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस, महंगाई, बेरोजगारी.... हर मोर्चे पर जनता की जेब को आग लगा दी.... 70 सालों में इतने परिवार बर्बाद नहीं हुए, जितने 7 सालों में हुए है?
कालेधन की तो सियासी माया ही निराली है? इसे जमीन निगल गई या आसमान खा गया, कुछ पता ही नहीं चला!
बिंदास बोल सुने तो.... बीसवीं सदी का गुजरात मॉडल था- खावा ने खिचड़ी चालशे भले पण पेरवा ने जोइए टेरिकोटन, मतलब- खिचड़ी खा कर काम चला लेंगे, लेकिन झांकी सजाना जरूरी है?
अब एक्कीसवीं सदी का गुजरात मॉडल है- जाए बद्धा तेल लेवा जलसा कर!
अर्थात.... सबकी ऐसीतैसी, अपन तो उत्सव मनाओ, देश-दुनिया घूमो, प्रदर्शन करो और प्रवचन देकर प्रचार करो?
देखना दिलचस्प होगा कि जनता नए मॉडल के सुनहरे जाल में फिर से उलझती है या नहीं!
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Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-गुजरात की उस कहावत में बड़ा दम है जिसमें कहा गया है कि- जब तक मूर्ख धरती पर जिंदा है, तब तक धूर्त भूखे नहीं मर सकते हैं! https://t.co/CGzbIHteYU@RavindraGautam_ @ppbajpai @ajitanjum@SChoudharyNews@sakshijoshii@vinodkapri @jitupatwari@BrahmRakshas2
— Pradeep ShreeTheWay (@Pradeep80032145) December 3, 2021
हे बंगाल के मतदाताओं! कोरोना का गुजरात मॉडल देखना हो तो कुछ दिन तो गुजारो गुजरात में....
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