जबलपुर. रेलवे ने आरओएमटी (रेनोवेशन, ऑपरेशन, मेंटेनेंस व ट्रांसफर) नीति के तहत जबलपुर, कटनी मुड़वारा, मैहर, सतना और रीवा स्टेशन के प्रतिक्षालयों को निजी हाथों में देने की तैयारी की है. रेलवे पांच वर्षों के लिए निजी हाथों में देने जा रही रही है. रेलवे को उम्मीद है कि इससे यात्रियों को जहां बेहतर सुविधाएं मिलेंगी. वहीं रेलवे को एक करोड़ 78 लाख 75 हजार रुपए की अतिरिक्त कमाई भी हो जाएगी, लेकिन रेलवे के इस निर्णय से यात्रियों की जेब ढीली होगी.
पश्चिम मध्य रेलवे की नई गैर-किराया राजस्व स्कीम के तहत ये प्रोजेक्ट लाया गया है. अभी रेलवे स्टेशन के प्रतिक्षालय का संचालन रेलवे की ओर से किया जाता है. अब रेलवे इन प्रतिक्षालयों को निजी हाथों में देने जा रही है. हालांकि ये पांच वर्ष के लिए ठेके पर देने जैसा होगा. इसके एवज में जहां ठेके पर प्रतिक्षालय लेने वाली एजेंसी को रेनोवेशन के काम कराने होंगे. वहीं रख-रखाव और मेंटीनेंस की जवाबदारी भी संबंधित एजेंसी की होगी. साथ में तय राशि भी देनी होगी. पांच साल संचालन के बाद रेलवे को ट्रांसफर करना होगा.
पमरे के जबलपुर रेल मंडल में आरओएमटी नीति को लागू किया गया है. पहले चरण में जबलपुर के मुख्य स्टेशन सहित कटनी मुड़वारा, मैहर, सतना और रीवा स्टेशन से इसकी शुरूआत की जा रही है. ये सभी स्टेशन यात्री दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण हैं. प्रतिक्षालय का ठेका लेने वाली एजेंसी यात्रियों से सुविधा शुल्क वसूलेगी. साथ में प्रतिक्षालय में खान-पान की भी सुविधा उपलब्ध कराने की तैयारी है.
स्टेशनवार मिलने वाला राजस्व
- जबलपुर रेलवे स्टेशन के प्रतीक्षालय को 5 वर्षों के लिए देने पर 90.05 लाख रुपए मिलेंगे.
- सतना रेलवे स्टेशन के प्रतीक्षालय को 5 वर्षों के लिए देने पर 57.50 लाख रुपए मिलेंगे.
- मैहर रेलवे स्टेशन के प्रतीक्षालय को 5 वर्षों के लिए देने पर 15.05 लाख रुपए मिलेंगे.
- रीवा रेलवे स्टेशन के प्रतीक्षालय को 5 वर्षों के लिए देने पर 6.05 लाख रुपए मिलेंगे.
- कटनी मुड़वारा रेलवे स्टेशन के प्रतीक्षालय को 5 वर्षों के लिए देने पर 10.05 लाख रुपए मिलेंगे.
रेलवे की कमाई बढेगी
यात्री प्रतिक्षालय वैसे तो ट्रेन लेट होने या ट्रेन इंतजार करने वाले यात्रियों के लिए होता है. ट्रेन के आगमन या प्रस्थान के 4 घंटे तक नि:शुल्क रहता है. इसके बाद घंटे के अनुसार एक न्यूनतम चार्ज लिया जाता है. रेलवे को हर वर्ष यहां सिविल कार्य, रख-रखाव, बिजली बिल आदि पर लाखों रुपए खर्च करने पड़ते है. अब निजी हाथों में देने पर जहां खर्च बचेगा, वहीं अतिरिक्त कमाई होगी. पमरे ने आगे भी दूसरे रेलवे स्टेशन के प्रतिक्षालय को इसी तरह आरओएमटी नीति के तहत देने की तैयारी में जुटी है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-ट्रेन में कन्फर्म रिजर्वेशन के बाद भी यात्री को नहीं मिली सीट, अब रेलवे देगा 1 लाख रुपए हर्जाना
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