अभिमनोजः पंजाब कांग्रेस में बदलाव अच्छा है, लेकिन अनुशासन के बगैर कोई मतलब नहीं है?

अभिमनोजः पंजाब कांग्रेस में बदलाव अच्छा है, लेकिन अनुशासन के बगैर कोई मतलब नहीं है?

प्रेषित समय :07:31:44 AM / Tue, Apr 12th, 2022

नजरिया. पंजाब कांग्रेस में बड़ा बदलाव हुआ है और पार्टी की कमान अमरिंदर सिंह राजा वडिंग को दी गई है. लेकिन, इस बदलाव का सही फायदा तभी मिलेगा, जब कांग्रेस में सख्त अनुशासन कायम हो?

अब तक कांग्रेस का जितना नुकसान विरोधियों ने नहीं किया, उससे ज्यादा कांग्रेसी नेताओं की गुटबाजी ने किया है, आश्चर्य की बात तो यह है कि लंबे समय से विभिन्न प्रादेशिक नेता लगातार बेखौफ बयानबाजी करते रहे हैं?

पंजाब चुनाव ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि कांग्रेस किसी प्रादेशिक नेता पर निर्भर नहीं है, उल्टे प्रादेशिक नेताओं को कांग्रेस की सख्त जरूरत है, यदि ऐसा नहीं होता तो कैप्टन अमरिंदर सिंह नाकामयाब नहीं होते?

लिहाजा, कांग्रेस नेतृत्व को हर प्रादेशिक दबाव से मुक्त होकर ऐसे निर्णय लेने होंगे, जो पार्टी के हित में हैं! यही नहीं, सिद्धू जैसे अनियंत्रित नेताओं पर अनुशासन की सख्ती भी दिखानी होगी?

यह अच्छी बात है कि कांग्रेस हाईकमान ने पंजाब में पुराने कांग्रेसियों पर भरोसा किया है, प्रदेश प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग, कार्यकारी प्रधान भारत भूषण आशु, नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा और उपनेता डा. राजकुमार चब्बेवाल, ये सभी पुराने कांग्रेसी हैं.

याद रहे, बाहरी सियासी चमक के मद्देनजर जुलाई, 2021 में कांग्रेस ने नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश इकाई की कमान सौंपी थी, जोकि 2017 में ही कांग्रेस में आए थे, इतना ही नहीं, महासचिव भी परगट सिंह को बना दिया था, जिन्होंने सिद्धू के साथ ही कांग्रेस ज्वाइन की थी, नतीजा?

पूरे विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेसी गुटबाजी की ही सियासी चर्चा होती रही, जिसका जनता में अच्छा संदेश नहीं गया और कांग्रेस चुनाव हार गई!
देखना दिलचस्प होगा कि पंजाब में कांग्रेस की नई टीम, 2024 तक कांग्रेस का सियासी समीकरण सुधार पाती है या नहीं?

कांग्रेस हारी है, खत्म नहीं हुई है! आप ने नहीं, प्रादेशिक नेताओं की महत्वाकांक्षाओं ने कांग्रेस को मात दी है?

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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