जबलपुर. केंद्रीय सूचना आयुक्त उदय माहुरकर ने जबलपुर में बड़ा बयान देते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी ने गांधी जी की मौत का पूरा फायदा उठाया. उदय माहुरकर अपनी पुस्तक वीर सावरकर पर व्याख्यान देने जबलपुर पहुंचे. इस दौरान उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने गांधी जी की हत्या का पूरा फायदा कांग्रेस ने उठाया. 1956 में पीएम एटली भारत आए थे. वो बंगाल के एक्टिंग गवर्नर व मुख्य न्यायधीश पीवी चक्रवर्ती के यहां दो दिन रुके थे. पीवी चक्रवर्ती राष्ट्रवादी थे. एटेली से पीवी चक्रवर्ती ये जानने के इच्छुक थे कि उन्होंने आजादी कैसे दी? जबकि 1942 से 1947 तक कांग्रेस ने कोई भी दबाव अंग्रेजों के ऊपर नहीं बनाया था कि वह भारत छोड़ सकें. बंगाल की किताब में इसका उल्लेख है.
वीर सावरकर का सिद्धांत राष्ट्रवाद का है. वह मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति के विरोधी थे. उनके राष्ट्रवाद में सभी धर्मों जातियों को समान रूप से अधिकार है. चीन गठन के दौरान भारत से हर मामले में कमजोर था. 1952 में सावरकर ने पहली चेतावनी दी थी कि चीन भारत से आगे बढ़ रहा है. 70 साल में आने वाली हर समस्या की भविष्यवाणी वीर सावरकर ने 60 से 70 वर्ष पहले ही कर दी थी.
1972 की शिमला समझौते के दौरान भी भारत कुछ नहीं कर पाया, जबकि पाकिस्तान के एक लाख से अधिक युद्धबंदी सैनिक हमारे पास थे. तब भी हम पीओके नहीं ले पाए. जबकि उल्टा तीन हिंदू-सिंध बहुमूल्य इलाके पाकिस्तान को दे दिए. इस डर के कारण एक लाख पाकिस्तानी हिंदू का पलायन हुआ और वह भारत आ गए. वीर सावरकर के नियमों का पालन न करने पर भारत को नुकसान उठाना पड़ा. 70 साल बाद धारा 370 हटाकर सरकार उनके सपनों को पूरा करती दिखाई दे रहा है.
प्रधानमंत्री स्वगीज़्य इंदिरा गांधी ने भी वीर सावरकर को सम्मान दिया है. 1963 की गणतंत्र दिवस की परेड में प्रधानमंत्री पंड़ित नेहरू ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को आमंत्रित किया था. 1962 के युद्व में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की भूमिका देखकर नेहरू प्रभावित हुए थे. पंडि़त नेहरू एक दो साल और रहते तो वीर सावरकर को मान्यता दे देते.
माहूरकर ने बताया कि वह 2014 में नागपुर संघ मुख्यालय में डॉ मोहन भागवत का साक्षात्कार लेने गए थे. जहां मोहन भागवत ने साक्षात्कार में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को अब तक का श्रेष्ठ प्रशासक बताया था. इस बात का मैने भी समर्थन किया था. बिना आर्मी सैन्य क्षमता बढ़ाए भारत विश्व गुरू नहीं बन सकता है.
सूचना आयुक्त उदय माहुरकर ने कहा कि 15 साल की तुलना में महज 1 साल के कार्यकाल में सबसे ज्यादा सूचना के अधिकार से जुड़े मामलों का निपटारा किया है. इसका श्रेय टीम वर्क को जाता है. सूचना के अधिकार कानून के तहत व्यापक जनहित की समस्याएं अभी भी कम आती हैं. योजनाओं का क्रियान्वयन कैसे हो रहा है. ऐसे प्रश्न कम आते हैं, अधिकतर निजी सवाल होते हैं. ऊर्जा क्षेत्र में बड़े स्तर का भ्रष्टाचार है. इसका खामियाजा बिजली की प्रति यूनिट पर होता है.
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