कोलंबो. ऐतिहासिक आर्थिक संकट का सामना कर रहे श्रीलंका में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. राष्ट्रपति भवन से करीब आधे किलोमीटर की दूरी पर गुरुवार को हजारों प्रदर्शनकारी इकट्ठा हुए और राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के इस्तीफे की मांग की. लोगों का आरोप है कि देश की बदहाली के लिए यही दोनों जिम्मेदार हैं. लोगों ने प्रदर्शनस्थल पर ही सिंहली नववर्ष मनाया. श्रीलंका की प्रमुख पार्टी जेवीपी ने अगले हफ्ते तीन दिनों के लिए विशाल रैली निकालने का ऐलान किया है.
श्रीलंका इन दिनों खाने-पीने की चीजों व ईंधन की कमी, बढ़ती महंगाई और बिजली कटौती की भीषण समस्या से जूझ रहा है. यह श्रीलंका की आजादी बाद का सबसे भयानक आर्थिक संकट है. राजपक्षे सरकार पर भ्रष्टाचार और कुशासन का आरोप लगाते हुए भारी तादाद में प्रदर्शनकारी कोलंबो में गाले फेस नाम की जगह पर पिछले 6 दिनों से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. गुरुवार को श्रीलंका के लोगों ने प्रदर्शन स्थल पर ही पारंपरिक तरीके से नववर्ष मनाया. वहीं पर दूध उबाला. एक-दूसरे के साथ दूध-चावल और केक शेयर किए. बौद्ध भिक्षुओं ने धार्मिक मंत्रोच्चार किया. प्रदर्शनकारियों ने ‘संघर्ष की जीत हो’ नारे लगाते हुए पटाखे फोड़े.
श्रीलंका की मार्क्सवादी पार्टी जनता विमुक्ति पेरामुना ने अगले हफ्ते राजपक्षे सरकार को सत्ता से हटाने के लिए एक विशाल मार्च निकालने का ऐलान किया है. जेवीपी के महासचिव तिलविन सिल्वा ने बताया कि यह मार्च 17, 18 और 19 अप्रैल को आयोजित किया जाएगा. यह देश के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा मार्च होगा. मार्च 17 अप्रैल को सुबह 9 बजे बेरूवाला से शुरू होकर 19 अप्रैल को कोलंबो पहुंचेगा. उन्होंने कहा कि हम ऐसी जनशक्ति बनकर संघर्ष करेंगे, जिसे सरकार नजरअंदाज नहीं कर पाएगी. हम भ्रष्ट सरकार को उखाड़ फेंकेंगे.
इस बीच, विपक्ष के नेता साजिथ प्रेमदासा ने राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव और सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर दिए हैं. प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति का बातचीत का ऑफर भी ठुकरा दिया है. वे राष्ट्रपति और उनके परिवार के सभी लोगों के सरकार से इस्तीफे की मांग पर अड़े हुए हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-पूर्व कप्तान अर्जुन रणतुंगा बोले- श्रीलंकाई खिलाड़ी तुरंत आईपीएल छोड़ें और देश का सहयोग करें
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