कोर्ट ने मानहानि मामले में राहुल गांधी को 1 हजार रुपए का भुगतान करने का दिया आदेश, जानिए यह है मामला

कोर्ट ने मानहानि मामले में राहुल गांधी को 1 हजार रुपए का भुगतान करने का दिया आदेश, जानिए यह है मामला

प्रेषित समय :15:18:39 PM / Sat, Apr 23rd, 2022

मुंबई. महाराष्ट्र के भिवंडी की एक अदालत ने 2014 में दायर मानहानि मामले में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के खिलाफ कार्यवाही स्थगित करने की मांग करने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एक कार्यकर्ता पर 1,000 रुपये का जुर्माना लगाया है. प्रथम श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने गुरुवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेता राजेश कुंटे को मानहानि के एक मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को 1,000 रुपए का जुर्माना भरने का आदेश दिया. यह आदेश शिकायतकर्ता कुंटे द्वारा स्थगन आवेदन पेश करने के बाद आया है.

अदालत ने दिल्ली से एक और नोटरी गवाह पेश करने के लिए शिकायतकर्ता के अनुरोध को खारिज करने के बाद मार्च में सुनवाई स्थगित कर दी थी. कुंटे द्वारा कांग्रेस नेता के खिलाफ दायर मामले की सुनवाई दिन-प्रतिदिन के आधार पर शुरू होनी थी. हालांकि, गुरुवार को इसे दूसरी बार स्थगित कर दिया गया और अदालत ने शिकायतकर्ता से जुर्माना भरने को कहा. अदालत ने तब कुंटे को सुनवाई की अगली तारीख पर अपने सबूतों के साथ पेश होने का आदेश दिया और गांधी को भुगतान करने के लिए 1,000 रुपये का जुर्माना लगाया. मामले की अगली सुनवाई 10 मई को होगी.

बचाव पक्ष के वकील नारायण अय्यर ने कहा, शिकायतकर्ता ने गुरुवार को फिर से स्थगन का अनुरोध किया, लेकिन अदालत ने आवेदन को खारिज कर दिया और राहुल गांधी को 1,000 रुपए का भुगतान करने के लिए कहा. इसने उन्हें 10 मई को सुनवाई की अगली तारीख पर सबूत और गवाह पेश करने का भी आदेश दिया. गांधी ने 2014 में अपने एक भाषण में महात्मा गांधी की मृत्यु के लिए आरएसएस को जिम्मेदार ठहराया था, जिसके बाद भिवंडी अदालत में मानहानि का मुकदमा दायर किया गया था. अदालत ने 2018 में गांधी के खिलाफ आरोप तय किए थे.

उनके खिलाफ आरएसएस कार्यकर्ता राजेश ने मामला दर्ज किया था. गांधी के बाद कुंटे ने अपने एक भाषण में कहा था कि महात्मा गांधी की मृत्यु के लिए आरएसएस जिम्मेदार था. बार एंड बेंच ने बताया कि कुंटे, जिन्होंने गांधी के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी, ने सुनवाई को स्थगित करने की मांग करते हुए कहा था कि एक न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा एक नोटरी वकील को गवाह के रूप में उनकी जांच करने के लिए बुलाने से इनकार करने के खिलाफ उनकी अपील उच्च न्यायालय में लंबित थी.

मानहानि के मुकदमों में अपनाए गए निर्धारित मानदंडों के अनुसार, शिकायतकर्ता को अभियोजन पक्ष के लिए पहले गवाह के रूप में पेश होना आवश्यक है. इसके अलावा, कुंटे ने सीआरपीसी की धारा 202 के तहत कुंटे की मानहानि शिकायत की जांच करने वाले पुलिस अधिकारी को समन की मांग करते हुए एक और आवेदन दायर किया. गांधी के वकील ने अपील का विरोध किया और बाद में मजिस्ट्रेट ने इस आधार पर खारिज कर दिया कि कुंटे के लिए अन्य गवाहों के आगे बढऩे से पहले अपना खुद का बयान साबित करना आवश्यक था.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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