अहमदाबाद. गुजरात हाईकोर्ट ने एक किसान को फसल ऋण लेने के बाद उसके लोन अकाउंट में 31 पैसे बकाया रहने पर एनओसी नहीं देने के लिए भारतीय स्टेट बैंक को फटकार लगाई है. केस की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश भार्गव करिया ने इस मामले में अपनी नाराजगी जताते हुए कहा कि इतनी कम राशि के लिए नो ड्यूज सर्टिफिकेट जारी नहीं करना उत्पीडऩ के अलावा कुछ नहीं है.
पीडि़त किसान के अनुसार जब उसे लगा कि उसने बैंक का सारा कर्ज चुका दिया है, तो वह नो ड्यूज सर्टिफिकेट लेने के लिए बैंक पहुंचा. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने जो जवाब दिया उसे सुनकर वह सन्न रह गया. बैंक ने कहा कि अभी 31 पैसे उस पर बकाया है, लिहाजा सर्टिफिकेट जारी नहीं किया जा सकता है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जस्टिस करिया ने बैंक का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील से कहा कि 31 पैसे का बकाया? क्या आप नहीं जानते हैं कि 50 पैसे से कम की किसी भी चीज को नजरअंदाज किया जाना चाहिए? नाराज न्यायमूर्ति करिया ने बैंक को इस मुद्दे पर एक हलफनामा दायर करने के लिए कहा. अब इस मामले में आगे की सुनवाई 2 मई को होगी.
बताया जा रहा है कि राकेश वर्मा और मनोज वर्मा ने अहमदाबाद के बाहरी इलाके खोराज गांव में शामजीभाई पाशाभाई और उनके परिवार से जमीन का पार्सल खरीदा था. इससे पहले पाशाभाई के परिवार ने एसबीआई से फसल ऋण लिया था. कर्ज चुकाने से पहले ही पाशाभाई के परिवार ने जमीन बेच दी थी.
खरीदारों के नाम पर जमीन नहीं हुई, क्योंकि बैंक ने नो ड्यूज सर्टिफिकेट जारी नहीं किया था. इसी बात को लेकर खरीदारों ने साल 2020 में हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. मामला लंबित रहने के दौरान याचिकाकर्ता ने ऋण पूरी तरह से चुका दिया, लेकिन बैंक ने फिर भी प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जिसकी वजह से जमीन खरीदारों को हस्तांतरित नहीं की जा सकी.
जब कोर्ट ने बैंक से इसकी वजह पूछी, तो बैंक ने 31 पैसे की बकाया राशि की जानकारी कोर्ट को दी. इस बात पर सुनवाई कर रहे जज नाराज हो गए और कहा कि राष्ट्रीयकृत बैंक होने के बावजूद एसबीआई लोगों को परेशान करता रहता है. न्यायाधीश ने कहा कि कानून के तहत प्रावधान है कि 50 पैसे से कम की कोई भी चीज नहीं गिननी चाहिए.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी- दादी से ज्यादा मां का प्यार जरूरी, सौंपी दो बच्चों की कस्टडी
गुजरात हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा खुले में पढ़ने के लिए मजबूर छात्रों का डेटा
Leave a Reply