नजरिया. पिछले बिहार विधानसभा चुनाव ने यह साफ कर दिया है कि नीतीश कुमार के बीजेपी के साथ रहने के कारण उन्हें भले ही सत्ता मिल गई हो, किन्तु उनकी पार्टी कमजोर हो रही है, तो उनका वोट बैंक भी बिखर रहा है?
शायद इसका एहसास नीतीश कुमार को भी है और यही वजह है कि विभिन्न मुद्दों पर वे बीजेपी से अलग राय अक्सर व्यक्त करते रहते हैं!
याद रहे, बिहार में कुछ समय पहले बीजेपी के समान नागरिक संहिता के मुद्दे का भी विरोध किया गया था, तो अभी लाउडस्पीकर हटाने के मुद्दे पर भी नीतीश कुमार की राय बीजेपी से एकदम अलग है?
दरअसल, नीतीश कुमार अपनी सत्ता और अपनी इमेज, दोनों बचाकर रखना चाहते हैं.
बीजेपी के साथ जाने के कारण उनका वोट बैंक नाराज हुआ है, लेकिन वे शायद मानते हैं कि बीजेपी का साथ छोड़ते ही यह नाराजगी दूर हो जाएगी, लिहाजा वे बार-बार अपने बयानों से यह सियासी संदेश देते रहते हैं कि वे भले ही सत्ता के लिए बीजेपी के साथ हों, परन्तु उन्होंने अपनी विचारधारा नहीं छोड़ी हैं?
इन दिनों यूपी सहित दूसरी जगहों पर लाउडस्पीकर हटाए जा रहे हैं, ऐसे में नीतीश कुमार ने अपने बयान से यह दिखाने की कोशिश की है कि वे बीजेपी के नजरिए से इत्तेफाक नहीं रखते हैं?
यही नहीं, शायद वे गैर-भाजपाइयों को भी सियासी संदेश दे रहे हैं कि वे पूरी तरह से बीजेपी के साथ नहीं हैं?
दिलचस्प बात यह है कि नीतीश कुमार हाल ही कई इफ़्तार पार्टियों में भी नजर आए हैं, जहां उन्होंने गैर-भाजपाईे नेताओं के साथ टोपी पहनकर फोटो भी खिंचवाई है, ज़ाहिर है ऐसा करके वे एक ओर बीजेपी को नियंत्रण में रखना चाहते हैं, तो दूसरी ओर विपक्ष की उम्मीदें भी जगाए रखना चाहते हैं!
सियासी सयानों का मानना है कि बीजेपी का फोकस अभी राष्ट्रपति चुनाव है, लिहाजा अभी नीतीश कुमार को कोई सियासी खतरा नहीं है, लेकिन उसके बाद बिहार का सियासी समीकरण बदल भी सकता है?
नीतीश कुमारः कमाल का सियासी संतुलन? सत्ता अलग, सिद्धांत अलग!
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-नीतीश कुमारः कमाल का सियासी संतुलन? सत्ता अलग, सिद्धांत अलग! news in hindi https://t.co/BreI4ARcLO
— Palpalindia.com (@PalpalIndia) April 30, 2022
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