एमपी में अब ऐसा भी है: सरपंच पद की प्रत्याशी की 10 साल पहले मौत होने की शिकायत, महिला बोली साहब मैं तो जिंदा हूं

एमपी में अब ऐसा भी है: सरपंच पद की प्रत्याशी की 10 साल पहले मौत होने की शिकायत, महिला बोली साहब मैं तो जिंदा हूं

प्रेषित समय :20:08:47 PM / Thu, Jun 9th, 2022

पलपल संवाददाता, शिवपुरी. मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है, ऐसे में शिवपुरी के खानियाधाना तहसील के ग्राम पिपरोदा उबारी में चौकाने वाला मामला सामने आया है. जिसमें सरपंच का चुनाव लड़ रही महिला दाखा आदिवासी की मौत का दावा प्रतिद्वंदी कपूरी पति शोभाराम आदिवासी ने किया है, कपूरी का कहना है कि दाखा आदिवासी की 10 वर्ष पहले मौत हो चुकी है, यह कोई और महिला है, वहीं दाखा आदिवासी ने रिटर्निंग अधिकारी के पास पहुंचकर अपने जिंदा होने के सबूत पेश किए है.  

बताया जाता है कि शिवपुरी के ग्राम पिपरोदा उबारी तहसील खानियाधाना की सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है, जिसपर दाखा पति उत्तम आदिवासी ने सरपंच पद के लिए अपना नामाकंन दाखिल किया है, वहीं इस सीट पर प्रतिद्वंदी के रुप में कपूरी पति शोभाराम आदिवासी ने अपना नामाकंन दाखिल किया है, इस बीच कपूरी आदिवासी ने रिटर्निंग अधिकारी को एक शिकायत की है, जिसमें कहा गया है कि दाखा आदिवासी की 10 साल पहले मौत हो चुकी है, चुनाव में जो उतरी है वह खनियाधाना के मसूरी गांव की रहने वाली राकेश आदिवासी की पत्नी है, इसकी शिकायत उसने शपथ पत्र के जरिए संपत पति पूरम आदिवासी के द्वारा की गई है. इस बात की जानकारी जब महिला दाखा आदिवासी को लगी तो उन्होने कहा कि यह साजिश के तहत किया जा रहा है, दाखा आदिवासी ने स्वयं के जिंदा होने का सबूत रिटर्निंग आफिसर के समक्ष पेश होकर दिया है, उसने जिंदा होने के सभी दस्तावेज पेश करते हुए कहा कि प्रतिद्वंदी उसे मृत घोषित करने पर आमादा है, इस बात अपने गांव से सरपंच का चुनाव जरुरत लड़ेगी, प्रतिद्वंदी कपूरी पति शोभाराम आदिवासी फर्जी दस्तावेज बनवाकर शिकायत कर रही है, ताकि वह चुनाव न लड़ सके. सरपंच पद की प्रत्याशी दाखा आदिवासी ने यह भी बताया कि उसके पति उत्तम की करीब 8 वर्ष पहले मृत्यु हो गई थी, इसके बाद दाखा ने ग्राम मसूरी में रहने वाली राकेश आदिवासी से दूसरी शादी कर ली थी, इसके बाद से वह कभी मसूरी में तो कभी अपने गांव पिपरोधा उबारी में, उसके सारे दस्तावेज पिपरोधा उबारी के ही है वह इसी गांव की मूल निवासी है, दूसरे पति के गांव में न तो उसका राशन कार्ड है न ही वोटर लिस्ट में नाम है. इस मामले के बाद अधिकारियों ने दाखा आदिवासी के दस्तावेजों की जांच कराई तो उसका नामाकंन सही पाया गया है और उसके नामाकंन फार्म को मंजूरी दी गई है. 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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