बॉम्बे हाईकोर्ट की महाराष्ट्र सरकार को फटकार: पूछा- ट्वीट में किसी का नाम नहीं, तो छात्र को क्यों किया अरेस्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट की महाराष्ट्र सरकार को फटकार: पूछा- ट्वीट में किसी का नाम नहीं, तो छात्र को क्यों किया अरेस्ट

प्रेषित समय :14:28:48 PM / Tue, Jun 14th, 2022

मुंबई. बॉम्बे हाईकोर्ट ने राकांपा अध्यक्ष शरद पवार के खिलाफ कथित मानहानिकारक पोस्ट के लिए एक 21 वर्षीय छात्र की गिरफ्तारी पर महाराष्ट्र सरकार को फटकार लगाते हुए पूछा कि क्या सरकार हर उस ट्वीट का संज्ञान लेगी जो उसे आपत्तिजनक लगता है. हाईकोर्ट ने कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री और अनुभवी राजनेता पवार भी नहीं चाहेंगे कि छात्र को जेल में रखा जाए. न्यायमूर्ति एसएस शिंदे की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने लोक अभियोजक को राज्य के गृह विभाग से सलाह लेकर अदालत को बताने के लिए कहा, कि क्या वह फार्मेसी छात्र की रिहाई पर अनापत्ति के लिए तैयार है.

अदालत छात्र निखिल भामरे द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर उनके खिलाफ दर्ज मामलों को चुनौती दी गई थी और तत्काल रिहाई की मांग की गई थी. उच्च न्यायालय ने छात्र भामरे द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफार्म ट्विटर पर पोस्ट किए गए ट्वीट्स पर गौर करने के बाद कहा कि उनमें किसी व्यक्ति विशेष का नाम नहीं लिया गया है. न्यायमूर्ति शिंदे ने कहा कि सोशल मीडिया पोस्ट में किसी का नाम नहीं है और आप किसी को 1 महीने के लिए जेल में रखते है. यह सब कुछ करने का आधार कैसे है?

न्यायमूर्ति शिंदे ने आगे कहा कि प्रतिदिन 100 और हजारों ट्वीट पोस्ट किए जाते हैं. क्या आप हर ट्वीट पर संज्ञान लेंगे? हम इस तरह की एफआईआर नहीं चाहते हैं. अदालत ने कहा कि कुछ छात्रों को इस तरह हिरासत में रखा गया है. ऐसे मामले में एक व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा दर्ज करना संभवत: शरद पवार की प्रतिष्ठा के लिए सोशल मीडिया पोस्ट की तुलना में अधिक हानिकारक है. यदि आप इस तरह की कार्रवाई शुरू करते हैं, तो आप उस व्यक्ति के नाम को नुकसान पहुंचाते हैं, जिसे देश का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान मिल चुका है. यहां तक कि एक बड़ी शख्सियत को भी पसंद नहीं आएगा कि छात्र को ऐसे जेल में रखा जाए. हम नहीं चाहते कि उस बड़े व्यक्तित्व की प्रतिष्ठा कम हो.

अदालत ने मामले में आगे की सुनवाई के लिए 16 जून की तारीख तय करते हुए लोक अभियोजक को छात्र को पुलिस हिरासत से रिहा करने के लिए गृह विभाग से अनापत्ति का बयान लेने का निर्देश दिया. अदालत ने लोक अभियोजक से कहा कि हमारी विनम्र राय में, यदि आप आते हैं और अनापत्ति बयान देते हैं, तो राज्य की छवि बच जाएगी. 
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गौरतलब है कि नखिल भामरे ने कथित तौर पर गत 11 मई की शाम करीब 7 बजे शरद पवार के खिलाफ अपने ट्विटर अकाउंट पर एक आपत्तिजनक पोस्ट किया था. छात्र ने ट्वीट में लिखा था कि बारामती के गांधी बारामती में नाथूराम गोडसे को बनाने का समय आ गया है. आपको बता दें कि बारामती शरद पवार का गृह नगर है. नासिक की डिंडोरी पुलिस ने इस ट्वीट के लिए निखिल को गिरफ्तार कर लिया था.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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