प्रदीप द्विवेदी. महाराष्ट्र में आज जो राजनीतिक हालात बने हैं, उनके बारे में पल-पल इंडिया ने बहुत पहले ही उद्धव ठाकरे की प्रचलित कुंडली के आधार पर सितारों के संकेत दिए थे, जिसमें दो बातें खास थी, एक- महिलावर्ग से राजनीतिक तौर पर उलझने से बचना होगा और दो- वर्ष 2021-22 में काफी सतर्क रहना होगा, विशेषकर 2022 के पूर्वार्ध में कई तरह की सियासी समस्याएं आ सकती हैं!
बहरहाल, शिवसेना में राजनीतिक रस्साकशी जारी है और यदि उद्धव ठाकरे इस सियासी संकट से पार पा गए, तो सियासी समीकरण फिर से उनके अनुकूल हो सकता है?
पल-पल इंडिया (9 सितंबर 2020) उद्धव ठाकरेः वर्ष 2023 तक सियासी संतुलन रख पाए, तो दोबारा मुख्यमंत्री बन सकते हैं!
....में कहा था- उद्धव ठाकरे का सियासी समय बदल रहा है, संतुलन बनाने की चुनौती रहेगी. उनकी प्रचलित कुंडली पर नजर डालें तो उन्हें गुरु की महादशा ने मुख्यमंत्री बनाया और केतु ने कामयाबी का परचम लहराया, लेकिन नवंबर- 2020 से समय बदल रहा है और 2023 के पूर्वार्ध तक सियासी संतुलन बनाए रखने के लिए धैर्य से काम लेना होगा, खासकर, महादशा में गुरु-शुक्र संगम के कारण महिलावर्ग से राजनीतिक तौर पर उलझने से बचना होगा. वर्ष 2023 के उत्तरार्ध से लेकर 2028 तक बेहतर सियासी समय रहेगा, मतलब- यदि वर्ष 2023 के उत्तरार्ध तक सियासी संतुलन बनाने में कामयाब रहे तो, दोबारा मुख्यमंत्री बन सकते हैं.
अभी, दिसंबर- 2020 तक उकसाने वाली राजनीतिक प्रतिक्रियाएं रहेंगी, किन्तु संयम से काम लेना होगा. कई सहयोगी भी अप्रत्यक्ष उलझने पैदा कर सकते हैं.
* दिसंबर- 2020 और जनवरी- 2021 अच्छे रहेंगे, परन्तु फरवरी-2021 में विरोधी इमेज बिगाड़ने की कोशिश कर सकते हैं.
* मार्च से जून- 2021 तक का समय राजनीतिक नजरिए से अच्छा रहेगा, लेकिन जून-जुलाई 2021 में कई सियासी सच्चाइयां सामने आने के बाद मन बेचैन रह सकता है, इस दौरान अध्यात्म की ओर आकर्षित हो सकते हैं.
* वर्ष 2021-22 में काफी सतर्क रहना होगा, विशेषकर 2022 के पूर्वार्ध में कई तरह की सियासी समस्याएं आ सकती हैं.
* वर्ष 2022 के उत्तरार्ध से एक बार फिर सियासी समय संभलेगा, तो 2023 के उत्तरार्ध से कामयाबी का एक नया अध्याय शुरू होगा.
उल्लेखनीय है कि शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे के पुत्र और वर्ष 2004 से शिवसेना के कार्यकारी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हैं.
शिवसेना ने पिछला विधानसभा चुनाव बीजेपी के साथ लड़ा था, लेकिन मुख्यमंत्री पद के मुद्दे पर बीजेपी पर वादा तोड़ने का आरोप लगा कर उद्धव ठाकरे अलग हो गए. पहले, बीजेपी ने सियासी जोड़तोड़ से सरकार बनाने का प्रयास किया, लेकिन बहुमत के मोर्चे पर नाकामयाब रही, इसके बाद शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने मिलकर सरकार बनाई, जिसमें तीनों दलों की सहमति से उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने!
भाजपा के झटके से मुंबई से दिल्ली तक हलचल, मुश्किल में उद्धव ठाकरे सरकार
ममता बनर्जी की बैठक में शामिल नहीं होंगे उद्धव ठाकरे, सामने आई ये वजह
देवेंद्र फडणवीस का उद्धव ठाकरे पर जोरदार हमला: पूछा- हनुमान चालीसा पढऩा राजद्रोह है क्या
नीतीश कुमार को पांच साल, लेकिन उद्धव ठाकरे को ढाई साल भी नहीं, काहे?
मोदी सरकार को सीएम उद्धव ठाकरे ने दिया चैलेंज: यदि हिम्मत है तो दाऊद इब्राहिम को मार कर दिखाएं
Leave a Reply