अक्सर यह सवाल आता है कि कौन सा ग्रह बलवान होने से जीवन अच्छा होता है या कौन सा ग्रह ज्यादा फलदायक होता है, मेरा इसमें अपना मानना यह है कि जिस तरह एक भोजन थाल होती है उसमें रोटी भी जरूरी है, दाल भी जरूरी है, चावल भी जरूरी है, बड़ा पुआ रायता भी जरूरी है और यहां तक की चटनी/आचार/मिर्च भी जरूरी है तभी आप भोजन का आनंद ले पाते हैं, किसी भी एक चीज को खाकर आपको क्षणिक आंनद तो मिल सकता है लेकिन वो आंनद स्थायी नहीं होगा .
मुझे लगता है ठीक इसी तरह जीवन में भी है सारी चीजें थोड़ी थोड़ी होती हैं तभी एक पूर्ण जीवन व्यक्ति व्यतीत कर पाता है, इसके साथ-साथ हर ज्योतिषी का भी अपना एक दृष्टिकोण होता है अपना शोध अपना अनुभव होता है इसका भी फलादेश के समय बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ता है, कुछ ज्योतिषी कहते हैं कि अगर केंद्र में गुरु है तो 5000 दोष कम कर देता है इसलिए गुरु सबसे महत्वपूर्ण है, कुछ लोगों को लगता है कि मंगल बलवान है तो जातक पराक्रमी होगा और उस पराक्रम से जीवन में हर चीज पा लेगा, किसी को लगता है कि शुक्र बलवान होना चाहिए शुक्र से वैभव होगा पैसा होगा तो चीजें उसको आसानी से प्राप्त होंगी क्योंकि कलियुग में पैसा ही सब कुछ है, कुछ कहते हैं सूर्य सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि सूर्य ग्रहों का राजा भी है और इसी से प्रशासन में अच्छी पकड़ होती है आदि
मुझे लगता है कि अगर कुंडली में चंद्रमा बलवान है तो शायद एक सुखमय संतोषी जीवन हो सकता है और संतोषी सदा सुखी कहा ही जाता है, संतोषी व्यक्ति जीवन की हर परिस्थिति को स्वीकार करते हुए आगे बढ़ता रहता है इसलिए शायद जीवन में संतोष होना जरूरी है, एक उदाहरण के तौर पर एक व्यक्ति है जिसका गुरु बहुत अच्छा है वह बहुत पढ़ा लिखा है अपने शहर में सबसे ज्यादा पढ़ा लिखा, लेकिन अगर उसके और ग्रह फेवरेबल नहीं हैं तो वो उस ज्ञान का उपयोग नहीं कर पायेगा, मंगल कमजोर होगा तो वह शहर से बाहर निकलने का साहस नहीं कर पायेगा कोई सवाल पूछेगा तो तर्क के साथ उसका जवाब नहीं दे पायेगा, शुक्र अच्छा नहीं होगा तो वह अपने ज्ञान से ख्याति नहीं प्राप्त कर पायेगा, राहु अच्छा नहीं होगा तो वह हर किसी से लड़ता-भिड़ता रहेगा और खुद को सही साबित करता रहेगा आदि, यानी एक अच्छा ग्रह होने के बावजूद उसे उसके फल तो मिले लेकिन दूसरे ग्रहों का साथ ना मिलने की वजह से वह जातक नाकामयाब ही रहा, मुमकिन है कुछ समय के बाद उसे दूसरों से जलन भी होने लगेगी, ये सोचकर कि यार मैं तो इतना ज्यादा काबिल हूं मैं तो ज्यादा इतना ज्यादा पढ़ा लिखा हूं, लेकिन मैं अपने जीवन में कुछ उतना अचीव नहीं कर पाया लोग मेरी इतनी इज्जत नहीं करते हैं जबकि दूसरे लोग जो मुझसे कम-अक्ल हैं कम पढ़े लिखे हैं और उनको ज्यादा सम्मान मिलता है.
दूसरी तरफ मुझे लगता है चंद्रमा मन का कारक है और अगर आप मानसिक तौर पर मजबूत हैं तो कोई भी परिस्थिति आपका बाल भी बांका नहीं कर सकती, हमने इतिहास की किताबों में पढ़ा है कि किस तरह महाराणा प्रताप ने घास की रोटी खाई जीवन गुजारा लेकिन सर नहीं झुकाया, किस तरह पृथ्वीराज चौहान की आंखें फोड़ दी गई थी लेकिन उसके बाद भी उन्होंने इच्छाशक्ति के दम पर अपने शत्रु का दमन किया नाश किया ऐसे एक नहीं अनेकों प्रेणादायी प्रसंग उपलब्ध हैं.
जितना मैं ज्योतिष को पढ़ पाया समझ पाया जी पाया उसके हिसाब से मुझे लगता है की एक अच्छा बलवान चंद्रमा हो तो जीवन हजारों मुश्किलों के बावजूद भी काफी आसान होता है, शुरुआत में हमने एक भोजन थाल का जिक्र किया था और अगर हम जहां से हमने बात शुरू करी थी वहीं पर लौटें तो आप पाएंगे कि इतना सब स्वादिष्ट खाना खाने के बावजूद भी अगर आपको पानी ना मिले तो आपको तृप्ति नहीं मिलेगी.
विपुल जोशीज्योतिषीय उपाय (ग्रह और आप )
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-ज्योतिष के अनुसार कुंडली को देखकर जानें वैवाहिक जीवन में तलाक होगा या कोम्प्रोमाईज़!
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