इन नवग्रहों में धनु और मीन राशि के स्वामी देवगुरु बृहस्पति का बहुत महत्व है.
कुंडली में बृहस्पति की शुभता व्यक्ति को न सिर्फ भौतिक क्षेत्र में उन्नति प्रदान करता है, बल्कि आध्यात्मिक क्षेत्र में भी उसे सर्वोच्च स्थान प्रदान करता है.
बृहस्पति एक-एक राशि पर एक-एक वर्ष रहते हैं. वक्री होने पर इनकी गति में अंतर आ जाता है, लेकिन 12 साल बाद मीन राशि में इनका रथ चलता हुई वहीं पर आ जाता है, जहां से ये चले होते हैं.जब गुरु मीन राशि में गोचर रहते हैं तो बहुत ही बलशाली होते हैं .
व्यापार करने वाले जातकों के लिए यह समय बहुत अच्छा लाभकारी होता है धन दौलत में बढ़ोतरी होती है ऐसे में देव गुरु बृहस्पति की आप पर विशेष कृपा बनी हुई रहती है. सबसे ज्यादा धनु और मीन राशि वाले लोगों के लिए काफी अच्छा फायदा होता है.
जिन लोगों की शादी ब्याह में अड़चनें आ रही है व्यापार में अड़चनें रही है बनते बनते कामों में रुकावट आ रही हैं. इस समय गुरु की पूजा करके उपाय करके बहुत अच्छा फायदा ले सकते हैं.
देवशयनी एकादशी आने वाली है 9 जुलाई 2022 को हालांकि देव शयनी एकादशी 2 दिन की पड़ रही है.
एकादशी का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूरे विधि -विधान के साथ पूजा की जाती है.
भगवान विष्णु ही प्रकृति के पालनहार हैं और उनकी कृपा से ही सृष्टि चल रही है. इसलिए जब श्रीहरि चार महीने के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं तो उस दौरान कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता. इसी समय से चातुर्मास की शुरुआत भी हो जाती है. इस समय कोई मांगलिक या भौतिक कार्य तो नहीं होता, इसलिए इसे चातुर्मास भी कहा जाता है. इसे बहुत ही शुभ महीना माना जाता है.
देवशयनी एकादशी के बाद चार महीने तक सूर्य, चंद्रमा और प्रकृति का तेजस तत्व कम हो जाता है. इसलिए कहा जाता है कि देवशयन हो गया है.
शुभ शक्तियों के कमजोर होने पर किए गए कार्यों के परिणाम भी शुभ नहीं होते. चातुर्मास के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए.
लेकिन जिन लोगों की कुंडली में दोष है. वह कोई भी दोष
कालसर्प दोष ,मंगल दोष पितृ दोष गुरु चांडाल दोष, शनि चंद्रमा -विष दोष ,
हो उन लोगों को अपनी कुंडली के अनुसार उन दोषों की शांति करवानी चाहिए. वह एक जगह पर बैठकर प्रभु की साधना कर सकते हैं.
आप लोगों के लिए बहुत अच्छा समय है कुंडली विश्लेषण करवा के अपने सभी दोषो की मुक्ति पा सकते हैं.
आप अपने पंडित जी पुरोहित जी से या अपने आचार्यों द्वारा अपनी कुंडली को शुद्ध बना सकते हैं .दोषमुक्त बना सकते हैं.
शक्ति उपासक---आचार्य पटवाल
Shakti-Upasak Acharya Patwal
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