हाईकोर्ट की जस्टिस त्रिवेदी जांच कमेटी की रिपोर्ट में उजागर हुए मप्र मेडिकल यूनिवर्सिटी के काले कारनामे

हाईकोर्ट की जस्टिस त्रिवेदी जांच कमेटी की रिपोर्ट में उजागर हुए मप्र मेडिकल यूनिवर्सिटी के काले कारनामे

प्रेषित समय :10:41:29 AM / Tue, Jul 12th, 2022

जबलपुर. एमपी हाईकोर्ट द्वारा बनायी गई जस्टिस त्रिवेदी जांच कमेटी में मध्य प्रदेश की एकमात्र मेडिकल यूनिवर्सिटी के काले कारनामे खुलने से हड़कंप मच गया. जांच रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है. उसमें तत्कालीन कुलपति डॉ टीएन दुबे, रजिस्ट्रार डॉ जेके गुप्ता, यूनिवर्सिटी की परीक्षा नियंत्रक वृंदा सक्सेना, यूनिवर्सिटी की उप कुलसचिव रहीं तृप्ति गुप्ता और रिजल्ट बनाने वाली कंपनी माइंड लॉजिक पर गंभीर आरोप प्रमाणित पाए गए हैं. 

लगभग 42 पन्ने की जांच रिपोर्ट में यूनिवर्सिटी के काले कारनामे खुलने लगे हैं, जो बताती है कि मध्य प्रदेश मेडिकल यूनिवर्सिटी समाज को होनहार डॉक्टर नहीं बल्कि मुन्ना भाई दे रही थी. पास फेल करने के गंदे खेल का मामला बीते डेढ़ साल से मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की दहलीज पर पहुंचा. उसमें तथ्यात्मक आंकड़े रखने वाले याचिकाकर्ता यूनिवर्सिटी को घोटाले और भ्रष्टाचार का बड़ा अड्डा बताते हैं.

जांच रिपोर्ट मके अनुसार पूर्व कुलपति टीएन दुबे ने भोपाल में 5 छात्रों को पास करने के लिखित निर्देश तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक तृप्ति गुप्ता को दिए. यूनिवर्सिटी में कार्यरत रहे पूर्व प्रभारी कुलसचिव जेके गुप्ता ने भी 7 छात्रों को पास करने का दबाव बनाया. उसके लिखित दस्तावेज जांच कमेटी को मिले हैं.

वहीं एनआरआई कोटे के तहत एमबीबीएस एमडी और बीडीएस पाठ्यक्रम में दाखिला लेने वाले 71 एनआरआई छात्रों में से 13 छात्रों को स्पेशल रिवेल्युएशन का लाभ दिया गया. जबकि यूनिवर्सिटी की नियमावली में कहीं भी स्पेशल रिवेल्युएशन का नियम नहीं है. बावजूद इसके ऊंचे घराने से आने वाले छात्रों को मनमाफिक अंक देकर पास कराया गया.

इसके अलावा जांच कमेटी के समक्ष जो सबसे चौंकाने वाला तथ्य सामने आया वह बताता है कि इनरोलमेंट किसी नाम से हुआ लेकिन परीक्षा किसी छात्र ने दी और पास कोई और हो गया. जस्टिस त्रिवेदी जांच कमेटी ने प्राथमिक जांच में 278 मेडिकल छात्र ऐसे पाए जिनके दस्तावेज उनके मूल रिकॉर्ड से मेल नहीं खा रहे. यूनिवर्सिटी के मुखिया कुलपति से लेकर कुलसचिव तक हर किसी ने भ्रष्टाचार के इस खेल में अपने हाथ धोए.

जस्टिस त्रिवेदी जांच कमेटी ने यूनिवर्सिटी के वर्तमान हालातों को लेकर चिंता जताई और कहा यूनिवर्सिटी की कार्यशैली निराशाजनक है. वहां वर्तमान में ना अनुकूल हालात हैं और ना ही निष्पक्षता. जांच कमेटी ने सात बिंदुओं की अपनी सिफारिशें सरकार को दी हैं, जो बताती हैं कि यूनिवर्सिटी के अमेंडमेंट एक्ट 2011 में बदलाव कर काबिल और सक्षम अधिकारियों की पोस्टिंग यूनिवर्सिटी में की जाए ताकि संस्थान की विश्वसनीयता कायम रह सके.

जांच कमेटी ने यह भी कहा कि छात्रों की परीक्षा देने से लेकर मार्कशीट बनने तक संस्थागत संचार में आधिकारिक और यूनिवर्सिटी के ही ईमेल का इस्तेमाल अनिवार्य किया जाए, ताकि इस प्रकार की भ्रष्टाचार जैसी वारदातों से बचा जा सके.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

एमपी: एंबुलेंस नहीं मिलने पर मासूम भाई का शव गोद में लेकर सड़क किनारे बैठा रहा 8 साल का बच्चा, डॉक्टरों को नोटिस

दान के फंड का राष्ट्र विरोधी एजेंडे के लिए दुरूपयोग करने पर मेधा पाटकर सहित 12 लोगों पर एमपी में केस दर्ज

एमपी में हनुमान चालीसा पढऩे पर 7 छात्रों पर कालेज प्रशासन के जुर्माना लगाने पर राज्य सरकार सख्त, जांच के आदेश

एमपी के इस गांव में गूगल मैप पर मंदिर को बताया मस्जिद, गांववालों ने कर दिया थाने का घेराव

एमपी: चुनावी रंजिश में दबंगों ने पार की हैवानियत की हद, युवक के पैर में छेद कर डाल दी सरिया

Leave a Reply