गोपाल लाल कुमावत: पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना का विलम्ब क्यों?

गोपाल लाल कुमावत: पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना का विलम्ब क्यों?

प्रेषित समय :15:35:52 PM / Sat, Jul 30th, 2022

राजस्थान देश में क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा राज्य हैं. राज्य का क्षेत्रफल 3,42,239 वर्ग किलोमीटर है इसकी लम्बाई 826 किलोमीटर उत्तर से दक्षिण तथा चौड़ाई 869  किलोमीटर पूर्व से पश्चिम है. राजस्थान की विषम भौगोलिक स्थिति के अनुसार  33 जिलो मे से 12 जिले यथा- बीकानेर, चूरू, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ, सिरोही, जोधपुर, पाली, जालोर, जैसलमरे, बाड़मेर, सीकर एवं झुन्झुनू पूर्णतया रेगिस्तान मे स्थित है, शेष जिलो में से कुछ जिलो के भू-भाग मे रेतीली मिट्टी पायी जाती है. देश के क्षेत्रफल का 10.45 प्रतिशत हिस्सा राजस्थान में है तथा जनसंख्या की दृष्टि से भारत की 5.5 प्रतिशत जनता राजस्थान प्रदेश में निवास करती है. राजस्थान मे केवल 1.16 प्रतिशत सतही जल एवं 1.7 प्रतिशत भूजल संसाधन ही उपलब्ध है.

हमारी अधिकांश सभ्यताएं नदियों के किनारों पर ही विकसित हुई है क्योकि प्रचुर मात्रा में पेयजल उपलब्ध हैं. राजस्थान में अधिकांश जनता छोटे-छोटे गांव व ढाणियों में निवास कर रही है. हमारे पूर्वजो द्वारा गांव एवं ढाणियों बसने के समय पानी की आवश्यकता को ध्यान में रखकर उनके पास तालाबों का निर्माण करवाया गया जिनमें बरसात का पानी एक़ित्रत हो सके तथा वर्षभर उस गांव व ढाणी के पेयजल की आवश्यकता की पूर्ति हो सके तथा सतही जल स्तर पर वृद्धि हो सके. वर्तमान मे जनसंख्या का तीव्रगति से वृद्धि होने के कारण पानी की आवश्यकता अधिक हो गयी तथा हमारे पूर्वजों द्वारा पानी के संरक्षण हेतु बनाए गए तालाबो द्वारा पेयजल की पूर्ण रूप से आपूर्ति बनाये रखना वर्तमान में संभव नहीं हो पा रहा है अर्थात जनसंख्या एवं पशुधन के अनुसार वर्तमान परिप्रेक्ष्य मे ये संसाधन पर्याप्त नहीं है. राजस्थान में वर्षा कभी होती है तथा कभी नहीं होती है, वर्षा होती है तो बहुत ही न्यून होती है. इस प्रकार राजस्थान में अधिकांशतया सूखा/अकाल पड़ता रहता है, जिससे राजस्थान की जनता को पेयजल संकट, खाद्यान्न संकट एवं पशुओं के लिए चारा का संकट का सदैव बना रहता है.
राजस्थान में पेयजल/खाद्याान एवं चारा संकट की समस्या का स्थायी समाधान के लिए 1957 मे राजस्थान सरकार ने इन्दिरा गांधी नहर परियोजना की विस्तृत रिपोर्ट 1957 मे तैयार कर योजना आयोग को प्रेषित की गयी तथा मार्च 1958 मे नहर के निर्माण कार्य शुभारंभ किया गया. वर्तमान मंे कुल लम्बाई 649 किमी है तथा वितरण प्रणाली की कुल लम्बाई 9413 किमी है. इंदिरा गांधी नहर फीडर की गहराई 21 फीट एवं राजस्थान सीमा पर फीडर के तले की चौड़ाई 134 फीट है. इस परियोजना से आंवटित पानी का समुचित उपयोग कर पश्चिमी राजस्थान के बीकानेर, चूरू, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ, सिरोही, जोधपुर, पाली, जालोर, जैसलमरे, बाड़मेर, सीकर एवं झुन्झुनू जिलों में सिंचाई व पेयजल सुविधाओं का विस्तार, मरूस्थलीकरण को रोकना, पर्यावरण सुधार, वृक्षारोपण, रोजगार के अवसरों में वृद्धि करना, पशुओं के चारा उगाना एवं इनका विकास के साथ सरंक्षण करना तथा कृषि उत्पाद एवं खाद्यान्न उत्पन्न किया जा रहा है.

राजस्थान इंदिरा गांधी नहर परियोजना के द्वारा राजस्थान जैसे भौगोलिक विषमताओं  वाले प्रदेश में किसानों एवं पशुओं के लिए वरदान साबित हुई है. मरू प्रदेश की जीवनदायिनी कही जाने वाली नहर परियोजना से प्रेरित होकर बाढ एवं सूखा नियन्त्रण हेतु राजस्थान सरकार द्वारा वर्तमान में पूर्वी राजस्थान के 13 जिले यथा- अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली, सवाईमाधोपुर, दौसा, जयपुर, अजमेर,टोंक, बूंदी, कोटा, बांरा व झालवाड़ में पेयजल एवं औद्योगिक जल की उपलब्धता के लिए पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना की परिकल्पना की गयी है. इस परियोजना में चम्बल बेसिन की विभिन्न सब बेसिनों (पार्वती, कालीसिंध, कुन्नू, कूल, मेज) को जोड़कर मानसून के दौरान उपलब्ध अधिशेष जल को न्यून जल वाले नदी बेसिनों मे जल अपर्वतन हेतु तैयार की गयी परियोजना हैं. परियोजना की अनुमानित लागत लगभग 37250 करोड़ है, यदि निर्धारित समय पर यह परियोजना पूर्ण नहीं होगी तो अनुमानित लागत मे वृद्धि हो सकती है. परियोजनान्तर्गत धौलपुर व सवाईमाधोपुर जिले मे लगभग     2 लाख हैक्टेयर भूमि में सिंचाई सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी तथा मार्ग में आने वाले जलाशयों/तालाबों के पूर्व सिंचित क्षेत्र की लगभग 2.30 लाख हैक्टेयर भूमि में सिंचाई के लिए अतिरिक्त जल भण्डारण क्षमता सुनिश्चित करना परियोजना का महत्वपूर्ण पहलू है.  परियोजना के अन्तर्गत उपलब्ध जल 3510 मिलियन घन मीटर में से लगभग 49 प्रतिशत, 1723.5 मिलियन घन मीटर शुद्ध जल का पेयजल हेतु प्रावधान रखा जाएगा जिससे राज्य के 13 जिलों की 40 प्रतिशत जनसंख्या को 2051 तक जल उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है.

पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना राज्य के लिए अति-महत्वपूर्ण योजना है. इसको राज्य सरकार एवं केंद्र की सरकार को आपसी समन्वय स्थापित कर परियोजना की विस्तृत रिपोर्ट अनुसार तत्काल स्वीकृति प्रदान करनी चाहिए. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जो राजस्थान के गांधी के नाम से जाने जाते है तथा राजस्थान के जल संसाधन मंत्री महेन्द्रजीत सिंह मालवीया जो टीएसपी क्षेत्र के गांधी के रूप मे जाने जाते हैं, दोनों ही इस योजना को भौतिक रूप साकार रूप देने के लिए कृतसंकल्प है. वर्तमान में जल संसाधन विभाग द्वारा कार्य को गति प्रदान करने के लिए पर्याप्त स्टाफ लगाये जाने की कार्यवाही की जा रही हैं. भारत सरकार में राजस्थान में जोधपुर से सांसद मूल सीकर निवासी जो केन्द्रीय राज्य जल संसाधन मंत्री है. राजस्थान की इस योजना के लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री, राजस्थान के जल संसाधन मंत्री एवं केंद्रीय राज्य जल संसाधन मंत्री, जो तीनो ही राजस्थान के मूल निवासी है जो राज्य की भौगोलिक विषमताओं की पूर्ण जानकारी रखते है, अतः राजस्थान का प्रतिनिधित्व रखते हुए राजस्थान की जनता के हित को दृष्टिगत रखते हुए इस योजना की विस्तृत रिपोर्ट प्रधानमंत्री के समक्ष पारदर्शिता पूर्वक रखते हुए इसे केन्द्रीय योजना में परिवर्तित कराने का अथक प्रयास करना चाहिए. केन्द्रीय योजना घोषित करवाने पर राज्य सरकार वित्तीय भार नहीं पड़ेगा जिससे राज्य सरकार को आर्थिक समस्या नही ंहोगी. हाल ही समाचार पत्रों के अनुसार राज्य सरकार द्वारा परियोजना के संबंध में केंद्र को 11 बार पत्र लिखा गया लेकिन केन्द्र सरकार से जवाब प्राप्त करना अपेक्षित है. केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार से पुनः अनुरोध करना चाहूंगा की अंतर्राज्यीय जल समझौते के तहत राजस्थान में पानी की कमी, भौगोलिक विषमता को ध्यान में रखकर रियायत प्रदान करते हुए भारत सरकार इसे केन्द्रीय परियोजना का स्वरूप अति शीघ्र प्रदान करें ताकि राजस्थान की जनसंख्या का कायाकल्प हो सके!  

गोपाल लाल कुमावत: आरक्षण व्यवस्था का वर्गीकरण आवश्यक!
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Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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