आईआरटीएस आफीसर योगेंद्र भाटी की ट्रेन से कटकर मौत के मामले में 5 रेल अफसरों के खिलाफ जीआरपी ने दर्ज की एफआईआर

आईआरटीएस आफीसर योगेंद्र भाटी की ट्रेन से कटकर मौत के मामले में 5 रेल अफसरों के खिलाफ जीआरपी ने दर्ज की एफआईआर

प्रेषित समय :17:27:03 PM / Mon, Aug 1st, 2022

जबलपुर/बिलासपुर. मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) ने भारतीय रेल यातायात सेवा (आईआरटीएस) के एक अधिकारी योगेंद्र भाटी की लापरवाही से मौत के मामले में एक उप मुख्य अभियंता सहित रेलवे के पांच अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. गत 23 जून 2022 को शहडोल जिले के अमलाई स्टेशन के पास पटरियों पर काम की निगरानी के दौरान ट्रेन की चपेट में आने से भाटी की मौत हो गई थी. जिन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, उनमें उप मुख्य अभियंता प्रदीप तुराले, वरिष्ठ अनुभाग अभियंता अरविंद सिंह यादव, कनिष्ठ अभियंता उमंग श्रीवास्तव, बुरहर स्टेशन मास्टर मुनीब प्रसाद और ट्रैकमैन ज्ञानदेव यादव पर आईपीसी की धारा 304 (ए) के तहत लापरवाही से मौत का मामला दर्ज किया गया है.

जीआरपी के मुताबिक सीआरपीसी की धारा 174 के तहत, भाटी के अप्राकृतिक निधन की जांच की गई और बाद में जिम्मेदार पाए जाने वालों के खिलाफ 15 जुलाई को प्राथमिकी दर्ज की गई. जांच मुख्य रूप से ग्रीन पेपर के साथ-साथ प्री-नॉन इंटरलॉकिंग योजना के मुद्दे पर निर्भर करती थी, जिसमें एहतियात के साथ-साथ मैदान पर काम करने वालों की भूमिका, जिम्मेदारियों का पालन किया जाना था. इसके साथ ही वहां मौजूद सभी लोगों के चश्मदीद गवाहों के खातों को भी ध्यान में रखा गया.

2018 बैच के आईआरटीएस ऑफीसर थे भाटी

योगेंद्र भाटी 2018 में आईआरटीएस बैच के अफसर थे,  दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (एसईसीआर) के बिलासपुर मंडल में एरिया रेलवे मैनेजर के पद पर तैनात थे. 23 जून को, वह बैकुंठपुर सेक्शन का अतिरिक्त प्रभार सौंपे जाने के बाद अमलाई यार्ड के प्री-इंटरलॉकिंग कार्य की देखरेख कर रहे थे, जब उन्हें लगभग 7.45 बजे कटनी-बिलासपुर पैसेंजर ट्रेन ने टक्कर मार दी और उन्हें पास के अस्पताल ले जाया गया जहां उन्हें घोषित किया गया. पहुंचे पर मृत घोषित किया गया.

भाटी की मां ने रेल अफसरों पर लगाये प्रताडऩा के आरोप

रेलवे द्वारा आंतरिक रेलवे जांच के आदेश के बावजूद, भाटी की मां रंजना भाटी ने जीआरपी को दो पत्रों में वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा न केवल मानसिक उत्पीडऩ, बल्कि उनकी ओर से लापरवाही का भी आरोप लगाया. उन्होंने अपने बेटे की मौत की स्वतंत्र जांच की मांग की थी. जीआरपी द्वारा बाद की जांच में रेलवे कर्मियों की ओर से सतर्कता आदेश लागू करने में लापरवाही पाई गई, जिसके परिणामस्वरूप यात्री ट्रेन 75-80 किमी प्रति घंटे की गति से आ रही थी, जबकि ट्रैक पर काम अभी भी चल रहा था. इसके अलावा दुर्घटना स्थल पर, कर्मचारियों को बदलने के लिए हूटर के उपयोग के साथ चेतावनी जारी करने में लापरवाही हुई, जबकि कार्य स्थल पर प्रकाश व्यवस्था भी अपर्याप्त पाई गई

लोको पायलट, गार्ड ने जीआरपी को दिया था यह बयान

प्राथमिकी के अनुसार, बिलासपुर-कटनी एक्सप्रेस के लोको पायलट एसके बर्वे और गार्ड मोहम्मद वज़ीर अहमद ने जीआरपी को दिए अपने बयान में बताया था कि उनकी ट्रेन को बुरहर स्टेशन मास्टर द्वारा कोई चेतावनी आदेश जारी नहीं किया गया था, जिसके कारण ट्रेन अमलाई स्टेशन में प्रवेश कर गई थी. 75-80 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से. प्राथमिकी में कहा गया है, प्रदीप तुराले ने न तो खुद आदेशों का पालन किया और न ही अपने अधीनस्थों से इसे लागू करवाया, जिससे भाटी की मौत हो गई. इससे लोगों की जान भी खतरे में पड़ गई.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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