प्रदीप द्विवेदी. जब भी बीजेपी परेशानी में आती है, श्रीराम मंदिर का नाम जपने लग जाती है, लेकिन.... जिस नेता ने सबसे पहले श्रीराम मंदिर की आवाज बुलंद की उसको बीजेपी ने सियासी स्क्रीन से ही गायब कर दिया है!
आजकल श्रीराम मंदिर का श्रेय पीएम नरेंद्र मोदी की सियासी झोली में डाला जा रहा है, तो कुछ लोग कभी-कभी लालकृष्ण आडवाणी को भी याद कर लेते हैं, जबकि सुब्रमण्यम स्वामी का कहना है कि- श्रीराम मंदिर निर्माण में पीएम मोदी का तो कोई योगदान नहीं है, जिन लोगों ने काम किया उनमें राजीव गांधी, पीवी नरसिम्हा राव और अशोक सिंघल के नाम शामिल हैं!
इन सबसे हटकर बलराज मधोक, जो जनसंघ के प्रमुख नेता रहे हैं और जिनका नाम अब सियासी स्क्रीन से गायब है, सबसे पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने श्रीराम मंदिर को लेकर आवाज बुलंद की थी?
यही नहीं, श्रीराम मंदिर को लेकर अदालत ने जो फैसला दिया है, बलराज मधोक ने कुछ-कुछ ऐसा ही समाधान पेश किया था!
बीबीसी की रिपोर्ट कहती है कि- 1968 में बलराज मधोक पहले नेता थे जिन्होंने अयोध्या में बाबरी मस्जिद हिंदुओं के हवाले करने की मांग उठाई थी. उसके बदले में उन्होंने हिंदुओं द्वारा मुसलमानों के लिए एक भव्य मस्जिद बनाने की पेशकश की थी?
कुछ लोगों को, आज लालकृष्ण आडवाणी के साथ जो सियासत हुई है, वह रास नहीं आ रही है, लेकिन ऐसी ही सियासत बलराज मधोक के साथ भी हुई थी, जब लालकृष्ण आडवाणी जनसंघ के अध्यक्ष थे और क्या पता, ऐसा ही कुछ नरेंद्र मोदी के साथ भी हो?
एक ज़माने में भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष रहे बलराज मधोक को उनकी पार्टी ने ही 1973 के कानपुर अधिवेशन के बाद पार्टी से निष्कासित कर दिया था?
और.... इसके बाद से ही उनकी बड़ी सियासी पारी समाप्त हो गई!
मजेदार बात यह हैे कि लालकृष्ण आडवाणी को जनसंघ से जोड़ने में भी बलराज मधोक की मुख्य भूमिका थी?
बीबीसी की रिपोर्ट कहती है कि- कहा जाता है कि जनसंघ में लालकृष्ण आडवाणी को लाने में बलराज मधोक की बहुत बड़ी भूमिका थी.
उस समय दीनदयाल उपाध्याय को एक ऐसे युवा की तलाश थी जो अच्छी अंग्रेज़ी लिख सके और प्रेस वक्तव्यों का अंग्रेज़ी में अनुवाद कर सके.
मधोक ने ही आडवाणी का परिचय दीनदयाल उपाध्याय से करवाया था और उनके बाद आडवाणी ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा.
लेकिन.... एक ज़माने में भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष रहे बलराज मधोक को उनकी पार्टी ने ही 1973 के कानपुर अधिवेशन के बाद पार्टी से निष्कासित कर दिया?
बलराज मधोक राष्ट्रपति बनना चाहते थे....
बीबीसी की रिपोर्ट बताती है कि- इंदिरा गाँधी सेंटर ऑफ़ आर्ट्स के प्रमुख राम बहादुर राय बताते हैं, मुझे याद है जब 2002 में केआर नारायणन का कार्यकाल समाप्त हो रहा था और नए राष्ट्रपति के चयन की बात चल रही थी, उन दिनों प्रोफ़ेसर मधोक ने झंडेवालान में संघ के लोगों से बहुत बात की, लेकिन संघ का जिस तरह का उनके साथ पुराना अनुभव था, उन्होंने उसे कोई ख़ास महत्व नहीं दिया और उनके नाम पर मोहर नहीं लग पाई और एपीजे अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुना गया!
कहते हैं.... अक्सर इतिहास दोहराया जाता है, समय गुजर रहा है और कई सियासी सूर्य सूर्यास्त की ओर बढ़ रहे हैं, देखना दिलचस्प होगा कि इतिहास के पन्नों पर किन-किन के नाम बचते हैं और कौन-कौन बलराज मधोक हो जाते हैं?
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Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-दिल्ली में आतंकी साजिश का खुलासा, एनआईए ने बाटला हाउस से गिरफ्तार किया आईएसआईएस का सक्रिय सदस्य
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