अग्निवीर योजना भारत और नेपाल के बीच अग्निपथ साबित हो सकती है? गोरखा, चीन-पाक सेनाओं में जा सकते हैं?

अग्निवीर योजना भारत और नेपाल के बीच अग्निपथ साबित हो सकती है? गोरखा, चीन-पाक सेनाओं में जा सकते हैं?

प्रेषित समय :22:00:46 PM / Sat, Aug 27th, 2022

प्रदीप द्विवेदी. क्या अग्निवीर योजना भारत और नेपाल के बीच अग्निपथ साबित हो सकती है? क्या गोरखा चीन-पाक सेनाओं में जा सकते हैं?
यकीनन, केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की अग्निपथ योजना ने न केवल भारत के युवाओं को निराश किया है, बल्कि आजादी के बाद पहली बार नेपाल के युवाओं के सामने भी सवालिया निशान लगा दिया है?
बीबीसी न्यूज में संवाददाता- रजनीश कुमार की नेपाल के बुटवल की ग्राउंड रिपोर्ट- अग्निपथ से नाराज़ नेपाली गोरखा क्यों कह रहे हैं चीन और पाकिस्तान की सेना में जाने की बात? बताती है.... 

रमेश थापा बुटवल में नेपाली गोरखाओं को ब्रिटिश और भारतीय सेना में भर्ती होने के लिए तैयारी करवाते हैं. थापा कहते हैं- ब्रिटिश आर्मी में हर साल नेपाली गोरखाओं के लिए महज़ 172 सीट ही होती है, भारतीय सेना में 1000 से ज्यादा लोगों को भर्ती किया जाता था.
जब से भारत ने अग्निपथ योजना की घोषणा की है, तब से लोग बहुत निराश हैं. अब शायद ही कोई नेपाली गोरखा भारतीय सेना में जाना चाहेगा.
चार साल बाद ये बच्चे क्या करेंगे? गोरखा बहुत कड़ी मेहनत करते हैं, लेकिन भारत ने गोरखाओं की मेहनत पर अग्निपथ लाकर पानी फेर दिया है.

उल्लेखनीय है कि ब्रिटेन और भारत की आर्मी में नेपाली गोरखा 1947 में हुई त्रिपक्षीय संधि के तहत भर्ती होते हैं. भारत और ब्रिटेन की नेपाल से जो त्रिपक्षीय संधि है, वैसी संधि चीन और पाकिस्तान के साथ नहीं है. 1947 में हुई इसी संधि के कारण नेपाली गोरखा भारत और ब्रिटेन की आर्मी में भर्ती होते हैं.

इसी रिपोर्ट में बताया गया है कि- लुंबिनी के 22 साल के सचिन कुंवर पिछले पांच सालों से इस ट्रेनिंग सेंटर पर भारतीय सेना में भर्ती होने के लिए तैयारी कर रहे हैं. इनके पिता इंद्र बहादुर कुंवर भी भारतीय सेना में थे. सेना से रिटायर होने के बाद इंद्र बहादुर कुंवर पंजाब में डीएसई में नौकरी कर रहे हैं. सचिन अग्निपथ योजना से इतना ख़फ़ा हैं कि वह पाकिस्तान और चीन की सेना में जाने के लिए तैयार हैं.

नौजवानों के झुंड से सचिन कहते हैं- हमारे लिए केवल भारत ही नहीं है. चीन और पाकिस्तान हमें बुला रहे हैं. हम चीन और पाकिस्तान की सेना में भी भर्ती हो सकते हैं. गोरखाओं की बहादुरी को हर कोई जानता है. हमें स्थायी नौकरी चाहिए. चाहे वह भारत हो या चीन या फिर पाकिस्तान. हमारी प्रतिबद्धता उसी देश के प्रति होगी जो हमें सुविधाएं देगा.

रिपोर्ट बताती है कि- नेपाल के ही गुल्मी के 19 साल के बिमल पांडे भी सामने आए. बिमल पांडे के पिता रामप्रसाद पांडे भारत में खाना बनाने का काम करते थे. अब रामप्रसाद पांडे दुबई में खाना बनाते हैं.

12वीं पास बिमल पांडे अग्निपथ के सवाल पर भावुक हो जाते हैं और नाराज़ होकर कहते हैं- मेरे लिए भारतीय फौज ही आखिरी उम्मीद थी. अब वहां चार साल के लिए जाकर क्या करूंगा. पिछले चार सालों से किसी तरह फीस चुकाकर कड़ी मेहनत कर रहा था, लेकिन अब तो सारी उम्मीदें धरी की धरी रह गईं. मैं जिस हालत में हूं, उसमें चीन या पाकिस्तान किसी भी आर्मी में जा सकता हूं. हमारे लिए कोई अछूत नहीं है. चीन और पाकिस्तान की सेना के लिए हम रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हो सकते हैं.

इसी रिपोर्ट में बताया गया है कि- जनरल अशोक कुमार मेहता गोरखा रेजिमेंट में रहे हैं और अब रक्षा विश्लेषक के तौर पर लिखते हैं. नेपाली गोरखाओं के चीन और पाकिस्तान की आर्मी में जाने वाली बात पर उनसे पूछा तो उन्होंने भी इस चिंता का ज़िक्र किया.

जनरल अशोक कुमार मेहता ने कहा- नेपाली गोरखाओं के लिए अग्निपथ विषय पर दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में 25 जुलाई को एक सेमिनार हुआ था. इसमें नेपाल की जनता समाजवादी पार्टी के केंद्रीय समिति के सदस्य और पुलिस फेडरेशन के अध्यक्ष मानद सुबेदार मेजर खेम जंग गुरुंग ने ऑडियो संदेश भेजा था. इस ऑडियो संदेश में उन्होंने कहा था कि- अग्निपथ से भारतीय सेना में ऑपरेशनल क्षमता कम होगी और साथ ही गोरखाओं के उत्साह भी जाते रहेंगे. ऐसा इसलिए है कि नौकरी छोटी अवधि की होगी और न ही पेंशन होगी.

इस रिपोर्ट में यह आशंका भी व्यक्त की गई कि- अग्निवीर सेना से बाहर होने के बाद भारत विरोधी गतिविधियों में लिप्त हो सकते हैं. 

भारत विरोधी माओवादी समूह इनका इस्तेमाल कर सकते हैं. सबसे अहम बात है कि भारत और नेपाल संबंधों में नेपाली गोरखा राजनयिक सेतु का काम करते हैं और यह सेतु कमज़ोर होगा?

इस रिपोर्ट को देखने के बाद, जाहिर है.... केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर गंभीरता से मंथन करके जल्दी-से-जल्दी उचित कदम उठाने चाहिए!
यह रिपोर्ट यहां पढ़ सकते हैं....
https://www.bbc.com/hindi/international-62698856
ADG PI - INDIAN ARMY @adgpi
अफवाहों से बचें....
#Fake messages are being circulated on Social Media about recruitment of Gorkhas from Nepal in #IndianArmy.
Beware of fraudulent messages.
https://twitter.com/adgpi/status/1563138139069116416

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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