अभिमनोजः गैर-भाजपाई एकता में तीन बड़ी बाधाएं? कितने कामयाब होंगे नीतीश कुमार?

अभिमनोजः गैर-भाजपाई एकता में तीन बड़ी बाधाएं? कितने कामयाब होंगे नीतीश कुमार?

प्रेषित समय :22:27:26 PM / Wed, Sep 7th, 2022

नजरिया. इस वक्त लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर बिहार के सीएम नीतीश कुमार विपक्षी एकता के प्रयास में हैं, ताकि पीएम मोदी को दिल्ली की गद्दी से हटाया जा सके, लेकिन विपक्षी एकता को लेकर तीन बड़ी ऐसी बाधाएं हैं, जिनके कारण विपक्षी एकता संभव नहीं हो पा रही है?
विपक्ष में दो तरह के नेता हैं....
एक- जो विपक्ष की एकता चाहते हैं!
दो- जो स्वयं प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं?
जो प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं, वे ही विपक्ष की एकता में सबसे बड़ी बाधाएं हैं!
इस वक्त प्रधानमंत्री पद के लिए विपक्ष के तीन बड़े नाम उभर कर सामने आए हैं, जो प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं, ये हैं....
एक- अरविंद केजरीवाल! दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की पार्टी का असर दिल्ली और पंजाब में है, जहां इनकी सरकारे हैं, लेकिन वे लगातार प्रयास में हैं कि गुजरात, राजस्थान जैसे राज्यों में जल्दी से जल्दी अपनी पकड़ बनाएं, ताकि लोकसभा चुनाव में कोई सियासी चमत्कार दिखाया जा सके. पंजाब और दिल्ली में लोकसभा की कुल 20 सीटें हैं, मतलब आज दोनों राज्यों की सारी सीटें जीत भी जाएं तो आप की अधिकतम 20 सीटें होंगी, बावजूद इसके अरविंद केजरीवाल पीएम पद की तैयारी में हैं?
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल से नीतीश कुमार ने मंगलवार को मुलाकात की थी, लेकिन विपक्षी एकता की कुछ सकारात्मक बात बनी नहीं है!
दो- ममता बनर्जी! बीजेपी के खिलाफ सबसे मुखर नेता और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का पश्चिम बंगाल में खासा असर है, जहां लोकसभा की 42 सीटें हैं और जहां से टीएमसी ने पिछले चुनाव में 23 सीटों पर जीत हासिल की थी!
सवाल यह है कि अब वे अधिकतम कितनी सीटें जीत सकती हैं?
तीन- के चंद्रशेखर राव! तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव ने कुछ दिनों पहले ही पटना जाकर नीतीश कुमार से मुलाकात की थी. राव की पार्टी तेलंगाना की मजबूत क्षेत्रीय पार्टी है, जहां पर लोकसभा की 17 सीटें हैं और 2019 के चुनाव में जहां से उसने 9 सीटों पर जीत हासिल की थी. राव पिछले कई महीनों से बीजेपी के खिलाफ मोर्चा बनाने के लिए सक्रिय हैं, लेकिन कांग्रेस से भी दूरी बनाए रखना चाहते हैं, ऐसे में विपक्षी एकता कैसे होगी, यह बड़ा सवाल है?
सियासी सयानों का मानना है कि विभिन्न क्षेत्रीय दलों के लिए लोकसभा की 50 सीटें जीतना भी आसान नहीं है, ऐसे में प्रधानमंत्री बनने की सोचना आश्चर्यजनक हैं?
इतना जरूर है कि उनके कारण गैरभाजपाई एकता को तगड़ा झटका लग सकता है!

विपक्षी दल एक हों या नहीं हों, मोदी सरकार के लिए तो खतरे की घंटी बज रही है?
https://palpalindia.com/2022/09/07/New-Delhi-Opposition-parties-united-or-not-Modi-government-alarm-bells-are-ringing--news-in-hindi.html

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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