पलपल संवाददाता, जबलपुर. गोंडवाना की रानी दुर्गावती के शौर्य और बलिदान को सारी दुनिया जानती है. 1857 की क्रांति में उन्हीं के वंशज रहे राजा शंकर शाह एवं कुंवर रघुनाथ शाह के बलिदान को देश कभी नहीं भूलेगा. मैं मध्यप्रदेश की पावन भूमि को नमन करता हूं. वहीं मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान द्वारा जनजाति के लिए किए गए कार्यो को देखकर आश्चर्यचकित हूं. उक्ताशय के उद्गार उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने वेटनरी कालेज ग्राउंड में राजा शंकर शाह-कुंवर रघुनाथ शाह के बलिदान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किए. इस मौके पर राज्यपाल मंगूभाई पटेल, सीएम शिवराजसिंह चौहान, अन्य मंत्री, जनप्रतिनिधि, आदिवासी नेता सहित अन्य लोग बड़ी संख्या में उपस्थित रहे.
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जनसमूह को संबोधित करते हुए आगे कहा कि मैं आज पहली बार मध्यप्रदेश की धरती में आया हूं. मुझे जहां जबलपुर आने का सौभाग्य मिला. आज बिताए समय को मैं कभी नहीं भूल पाऊंगा, मैं आज धन्य हो गया. मैं देख रहा हूं कि आदिवासी समाज का सपना पूरा हो रहा है. हमें गर्व होता है कि पिता. पुत्र के शौर्य ने एक नई इबारत लिखने का काम किया. उन्होंने मौत को स्वीकार किया और भारत माता को पहले रखा यह हमारे लिए प्रेरणादायक है. मध्य प्रदेश की पावन धरा पर जन्मे वीर शिरोमणि राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह के बलिदान दिवस पर उन महानायकों को नमन करता हूं. ये उन जैसे बलिदानियों का ही प्रताप है कि आज हम एक स्वतंत्र भारत मे सांस ले पा रहे हैं और अपनी नियति खुद तय कर पा रहे हैं. भारत के स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय जननायकों की महत्वपूर्ण भूमिका रही हैए परंतु दुर्भाग्यवश उन्हें इतिहास में वो स्थान नहीं मिल पाया जिसके वो हकदार थे. हमें उन वीर महापुरुषों द्वारा देश की आजादी हेतु किए गए संघर्ष और त्याग को समाज के सामने लाना है. यह खुशी की बात है कि वर्तमान समय में देश में हमारे जनजातीय समाज को सम्मान देने की दिशा में निरंतर प्रयास हो रहे हैं. 75 सालों में पहली बार एक आदिवासी माननीय श्रीमती द्रौपदी मुर्मु जी भारत के सर्वोच्च पद को सुशोभित कर रही हैं. पिछले ही वर्ष सरकार ने भगवान बिरसा मुंडा की जन्म जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की है ताकि देश की युवा पीढ़ी राष्ट्र्र निर्माण में जनजातियों के योगदान को समझ सके, उनसे प्रेरणा ले सके. हर्ष का विषय है की देश में सभी जनजाति बहुल राज्यों द्वारा जनजातीय जननायक और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की स्मृति में उनके जन्म स्थलों पर या उनके बलिदान स्थलों पर स्मारकों का निर्माण किया जा रहा है. इसके पहले उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ मालगोदाम स्थित अमर शहीद राजा शंकर शाहए कुंवर रघुनाथ शाह की प्रतिमा स्थल में जाकर श्रद्धांजलि देने पहुंचे. इस दौरान आदिवासियों ने आदिवासी लोकनृत्य कर उपराष्ट्रपति का स्वागत किया. जहां उपराष्ट्रपति ने आदिवासियों से मिलकर उनका अभिवादन किया.
संग्रहालय बनने के बाद फिर जरूर आऊंगा-
मैं राज्यपाल मंगूभाई का वक्तव्य सुन रहा था. वह दिमाग से नहीं दिल से बोलते हैं. उनका आदिवासियों के प्रति प्रेम दूर से ही झलकता है. भारत देश बदल रहा है. इस बदलते भारत में जनजाति समाज का भी महत्वपूर्ण योगदान है. मुख्यमंत्री ने राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह के संग्रहालय बनने की नींव रखी है. जिसके बनने के बाद मैं फिर दोबारा आऊंगा. जबलपुर की इस वीर धरती को मैं सलाम करता हूं.
पेशा कानून इसी वर्ष लागू होगा: सीएम-
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने वेटरनरी कॉलेज में आयोजित बलिदान दिवस कार्यक्रम में कहा इस वर्ष से ही पेशा कानून लागू कर दिया जाएगा. 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस पर सार्वजनिक अवकाश का ऐलान किया. उन्होंने कहां ग्रामीण अपना तेंदूपत्ता खुद ही तोड़ सकेंगे और खुद ही बेच सकेंगे. वन विभाग से इसका लेना देना नहीं होगा. वहीं अब राशन का परिवहन ठेकेदार द्वारा नहीं किया जाएगा. इसके लिए सरकार स्वयं वाहन खरीदेगी. रोजगार देने का काम करेगी. जिसकी योजना बना ली गई है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-कटनी से ट्रांसफर होकर जबलपुर आए बैंक के डिप्टी मैनेजर की कार में मिली लाश
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