पलपल संवाददाता, जबलपुर. मध्यप्रदेश के जबलपुर में क्रिश्चियन सोसायटी की 136 करोड़ रुपए की जमीन अब शासन के नाम होगी. बेशकीमती जमीन के लीज के नवीनीकरण के आवेदन को द बोर्ड ऑफ एजुकेशन चर्च आफ नार्थ इंडिया जबलपुर डायोसिस के चेयरमैन व बिशप के पद से पीसी सिंह को हटाए जाने के बाद खारिज किया गया है. अब राजस्व विभाग के उन तत्कालीन अधिकारियों पर सवालिया निशान लग रहे है, जिन्होने 23 साल पहले समाप्त हो चुकी लीज के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की. कहीं न कही राजस्व विभाग के अधिकारियों की भी लीज के मामले में सांठ-गांठ रही. यदि इन अधिकारियों की भी जांच की जाए तो कई चेहरे सामने आएगें.
बताया जाता है कि राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) की जबलपुर ईकाई द्वारा बिशप पीसी सिंह के घर पर सर्च कार्यवाही की गई. जिसमें बिशप पीसी सिंह के घर से एक करोड़ 65 लाख रुपए नगद, दो किलो सोना, डालर में रुपए बरामद किए गए. इसके बाद पीसी सिंह को नागपुर से गिरफ्तार कर लिया गया. पूछताछ में ईओडब्ल्यू के सामने पीसी सिंह ने कई अह्म खुलासे किए. इसके बाद पीसी सिंह के कारनामें प्याज के छिंलकों के मानिंद उधड़ते ही चले गए. इन सब के बीच यूनाइटेड क्रिश्चियन मिशनरी सोसाइटी मार्फत पीसी सिंह के नाम पर दर्ज बेशकीमती जमीन के लीज नवीनीकरण के आवेदन को खारिज कर दिया गया है. यह जमीन नेपियर टाउन स्थित मिशन कंपाउंड की है. जमीन का रकबा लगभग एक लाख 70 हजार वर्गफीट है, जिसकी कीमत लगभग एक अरब 36 करोड़ 26 लाख 24 हजार रुपए के लगभग है. उक्त जमीन को शासन के नाम पर दर्ज करने के आदेश एडीएम शेर सिंह मीणा ने दे दिए. यह आदेश एसडीएम रांझी व तहसीलदार द्वारा पेश की गई रिपोर्ट के आधार पर दिया गया. मामले में सिविल ब्लाक नम्बर चार का प्लाट नम्बर 15 आवासीय उपयोग के लिए राजस्व अभिलेख में दर्ज है. जिसमें बिना किसी अनुमति के व्यवसायिक गतिविधियां संचालित की जा रही थी. पीसी सिंह की गतिविधियों की जांच में जमीन के दुरुपयोग की बात सामने आई. अपर कलेक्टर कोर्ट द्वारा जारी आदेश में कहा गया कि सोसायटी द्वारा आवासीय जमीन में से 26 हजार 700 वर्गफीट जमीन में पट्टे की शर्तो का उल्लघंन किया गया. खासबात तो यह है कि यूनाइटेड क्रिश्चियन मिशनरी सोसाइटी मार्फत पीसी सिंह के नाम पर लगभग एक लाख 70 हजार वर्गफीट जमीन विभिन्न् बटांकों में दर्ज है. इसकी लीज अवधि 31 मार्च 1999 को समाप्त हो चुकी थी. लीज नवीनीकरण के लिए जो आवेदन प्रस्तुत किया गया थाए वह भी अपूर्ण था. आवेदक द्वारा तय समय सीमा में वांछित जानकारी भी उपलब्ध नहीं कराई गई. इसके बाद भी राजस्व विभाग के अधिकारियों ने सांठ-गांठ करते हुए ध्यान नहीं दिया. यह मामला अब उजागर हो रहा है जब पीसी सिंह पर शिकंजा कसा गया. जिससे लेकर इस बात को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है कहीं न कही राजस्व विभगा में बैठे तत्कालीन अधिकारी भी जांच के दायरे में आ सकते है. जिन्होने सबकुछ जानते हुए भी कोई कार्यवाही नहीं की.
42 लोगों को बेच दिए गए भूखंड-
वहीं बात का भी खुलासा हुआ है कि ब्लाक नम्बर चार के प्लाट नम्बर 15 की जमीन में से 42 लोगों को बिना सक्षम अधिकारी की अनुमति के भूखंडों को बेच दिया गया. प्रकरण में अन्य लोगों द्वारा भी आपत्ति प्रस्तुत की गई थी कि लीज का नवीनीकरण हुआ तो कालोनीवासियों को आने-जाने में परेशानी होगी, बच्चों के खेलने का मैदान समाप्त हो जाएगा.
आवासीय जमीन का व्यवसायिक उपयोग-
गौरतलब है कि आवासीय उपयोग के लिए दी गई जमीन का व्यवसायिक उपयोग किया गया है. यहां पर इंडियन ओवरसीज बैंक व भारतीय खाद्य निगम, एटीएम, सद्भावना भवन, आशा विकास केन्द्र व चर्च आदि संचालित हो रहे है. यहां तक कि ईसाई धर्मगुरु पीसी सिंह ने दो प्लाट आधी कीमत पर बेचकर स्वयं ही खरीद लिए. इन दोनों प्लाट की वर्तमान कीमत एक करोड़ रुपए से ज्यादा है.
रिसीवर बिठाने की मांग-
वहीं दूसरी ओर आरटीआई कार्यकर्ता नितिन लॉरेंस ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह को पत्र लिखकर कहा है कि गैर कानूनी तरीके से मिशन की जमीनों का बंदरबांट करने वाले पीसी सिंह के कारनामे सामने आए है. जबलपुर में वर्तमान में कोई भी चेयरपर्सन नहीं है जो स्कूलों से संबंधित लेनदेन कर अपनी भागीदारी निभा सके. यदि दिल्ली सीएसआई के उच्चाधिकारी जबलपुर में किसी को चेयर पर्सन नियुक्त करते है तो यह भी असंवैधानिक होगा. नितिन लॉरेंस ने मांग की है कि सीएम शिवराजसिंह द्वारा जिला कलेक्टर को आदेश देकर यहां पर रिसीवर नियुक्त किया जाए. जो शैक्षणिक गतिविधियों को संचालित कर सके, यहां पर जो भी घोटाले हुए है उनकी जांच कर सच्चाई सामने लाई जाए.
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