नई दिल्ली/जयपुर. राजस्थान में कांग्रेस अशोक गहलोत के बाद कौन बनेगा मुख्यमंत्री, इस मुद्दे पर बुरी तरह उलझ गई है. देर रात तक चले सियासी घमासान में 90 कांग्रेस विधायकों ने इस्तीफे दे दिए हैं. जैसे ही सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की बात सामने आई, अशोक गहलोत खेमा सक्रिय हो गया. विधायक दल की बैठक तो नहीं हुई, लेकिन अशोक गहलोत समर्थक विधायकों ने बैठक कर सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने का विरोध किया. इन विधायकों ने पार्टी आलाकमान के सामने कुछ शर्तें भी रख दीं.
पार्टी पर्यवेक्षक के रूप में जयपुर पहुंचे वरिष्ठ नेता अजय माकन ने कहा कि विधायकों ने कुछ शर्तें रखी हैं. सभी शर्तों का मानना संभव नहीं है. हम विधायकों से वन टू वन मिलना चाहते हैं, लेकिन वो गुट में आना चाहते हैं. हम रिपोर्ट बनाकर पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंपेंगे. वे ही फैसला करेंगी.
गहलोत और समर्थक विधायकों पर हो सकती है कार्रवाई
इस बीच, अशोक गहलोत समर्थक विधायकों को बर्ताव को अनुशासनहीनता माना जा रहा है. ये सभी पार्टी विधायक दल की बैठक में नहीं पहुंचे और उसी समय अपनी अलग बैठक की. मुश्किल अशोक गहलोत की भी बढ़ सकती है, क्योंकि कांग्रेस कार्य समिति के कुछ सदस्यों ने उनके खिलाफ पार्टी आलाकमान से शिकायत की है. मांग की गई है कि अशोक गहलोत को पार्टी अध्यक्ष पद की रेस से बाहर कर दिया जाए, क्योंकि उनके इशारे पर राजस्थान में पार्टी विरोधी गतिविधियां हुई हैं.
गहलोत समर्थक विधायकों ने रखी यह शर्त
सचिन पायलट के खिलाफ गहलोत समर्थक विधायक बागी हो गए हैं. उन्होंने एक तरह से पार्टी आलाकमान के खिलाफ जाते हुए कुछ शर्ते रखी है. पहली यही कि सचिन पायलट को सीएम न बनाया जाए. दूसरी - कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने पर ही अशोक गहलोत इस्तीफा दें और तीसरी - नई सरकार में अशोक गहलोत समर्थकों को तवज्जो दी जाए. वहीं सचिन पायलट समर्थक भी खुलकर अशोक गहलोत के खिलाफ सामने आए गए हैं. कुल मिलाकर राजस्थान में कांग्रेस की सरकार संकट में है. गहलोत समर्थक विधायक यह भी चाहते हैं कि उनका नेता कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष ना बने और राजस्थान में ही सक्रिय रहे.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत का बड़ा बयान: कहा- अब नई पीढ़ी को मिले मौका
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