कोझिकोड. केरल के कोझिकोड में एक महिला पुलिस अधिकारी ने अपनी ड्यूटी के दौरान मातृत्व का जो रोल अदा किया है, उस पर केरल हाई कोर्ट को भी गर्व है. अगर उस महिला पुलिस अधिकारी ने समय पर एक अनजाने नवजात को स्तनपान नहीं कराया होता तो उसकी जान खतरे में पड़ सकती थी, लेकिन, सिविल पुलिस ऑफिसर एमआर रम्या ने नवजात की नाजुक हालत देखकर बिना समय गंवाए अपने बच्चे की तरह उसे सीने से लगा लिया. केरल हाई कोर्ट ने उस महिला पुलिस ऑफिसर की सराहना करते हुए सर्टिफिकेट में जो कुछ कहा है, वह पूरी मानवजाति और खासकर मातृशक्ति के लिए एक अनमोल उदाहरण है.
केरल हाई कोर्ट ने एक महिला पुलिस अधिकारी के काम की ना सिर्फ जमकर तारीफ की है, बल्कि उनके सम्मान में एक सर्टिफिकेट भी दिया है. उस महिला अधिकारी ने अपनी ड्यूटी के दौरान 12 दिन के एक नवजात को स्तनपान कराकर उसकी जान बचाने का काम किया है. दरअसल, वह मासूम अपने माता-पिता के बीच हुए विवाद की वजह से मां से दूर हो गया था और काफी देर तक स्तनपान नहीं कर पाने की वजह से उसकी तबीयत बिगडऩे लगी थी. ड्यूटी के दौरान एक मां का धर्म निभाने वाली एमआर रम्या सिविल पुलिस ऑफिसर के पद पर तैनात हैं.
एक अच्छी अधिकारी और सच्ची मां- आप दोनों हैं
केरल हाई कोर्ट के जज जस्टिस देवन रामचंद्रन ने सीपीओ रम्या को दिए सर्टिफिकेट में उनके बारे में कहा है, आप आज पुलिस का सबसे बेहतरीन चेहरा हैं. एक अच्छी अधिकारी और सच्ची मां- आप दोनों हैं. सर्टिफिकेट में जज ने यह भी लिखा है, जीवन का अमृत एक दिव्य उपहार है, जो कि सिर्फ एक मां ही दे सकती है और आपने यह तब किया, जब ड्यूटी पर थीं. आपने हम सबके भविष्य के लिए मानवता की उम्मीद को जीवित रखा है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-Avian Flu का केरल में बढ़ा खतरा, 20 हजार से ज्यादा पक्षियों को मारने का अभियान शुरू
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